Jharkhand News: झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) नियुक्ति घोटाला मामले में चार आरोपियों-पुलिस अधिकारियों विकास पांडेय और अरविंद सिंह, तथा प्रशासनिक पदाधिकारियों कुमुद कुमार और संगीता कुमारी-की अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को CBI की विशेष अदालत में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।
क्या है मामला?
JPSC नियुक्ति घोटाला पहली और दूसरी सिविल सेवा भर्ती (2005-2006) से जुड़ा है, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप है। CBI ने इस मामले में 12 साल की जांच के बाद अक्टूबर 2024 में चार्जशीट दाखिल की थी।
पहली भर्ती में 37 और दूसरी भर्ती में 70 आरोपियों को नामजद किया गया है, जिनमें तत्कालीन JPSC अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, और परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह शामिल हैं।
अन्य आरोपी सरकारी अधिकारियों, उम्मीदवारों, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार हैं।
आरोप है कि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, निशान पत्रों में हेरफेर, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को अनुचित लाभ दिया गया। उदाहरण के लिए, कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाए गए, जैसे रोशन कुमार साह, जिनके 80 अंक को 180 दिखाया गया।
विकास पांडेय, अरविंद सिंह, कुमुद कुमार, और संगीता कुमारी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए CBI की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।
सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कोर्ट से जवाब तैयार करने के लिए और समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। इन चारों पर आरोप है कि इन्होंने चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं में भूमिका निभाई या इससे लाभ उठाया।
CBI की विशेष अदालत ने इस घोटाले से जुड़े कई आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में अरविंद कुमार लाल सहित पांच आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया गया था।
हालांकि, कुछ आरोपियों, जैसे पूर्व JPSC अध्यक्ष दिलीप प्रसाद और अन्य, को सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।