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दुमका के बासुकीनाथ धाम में सुबह से जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों का लगा तांता

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Shiva devotees Gathered in Large Numbers for Jalabhishek : सावन के पावन महीने का शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर बासुकीनाथ धाम में फौजदारी नाथ (Faujdari Nath) पर पवित्र गंगा जल चढ़ाने के लिए शिव भक्तों का तांता लग रहा।

जिसे नियंत्रित करने के लिए देर रात से ही प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों की कवायद जारी रही। सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर पहुंचने वाले कांवरिया एवं Bhagalpur के बरारी से आने वाले डाक बम की गूंज अर्धरात्रि से ही सुनाई देने लगी। जिन्हे कांवरिया रूट लाइन टाटा धर्मशाला होते हुए संस्कार मंडप के रास्ते मंदिर में अर्घा के माध्यम से जल चढ़वाया जा रहा था। पूरा दिन मंदिर परिसर भगवाधारी कांवरियों के बोल बम के नारे से गूंजता रहा।

भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से शीघ्र दर्शनम कूपन की व्यवस्था की गई थी। मंदिर के सिंह द्वार एवं शिवगंगा घाट के पास जलार्पण काउंटर (Watering counter) से भी जल चढ़ाया जा रहा था।

वहीं श्रद्धालु प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधा का भरपूर लाभ उठाते देखे गए। शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार सावन का सोमवार हिंदू धर्मावलंबियों के लिए विशेष महत्व है, जो मनुष्य के समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है। सोमवारी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख शांति का आगमन एवं संकटों से मुक्ति मिलती है

प्रशासनिक शिविर हँसडीहा में 94 डाक बमों को दिया गया टोकन

सावन की पहली सोमवारी पर हंसडीहा के रास्ते बासुकीनाथ जाने वाले 94 डाक बमों को प्रशासनिक शिविर हंसडीहा में टोकन दिया गया। टोकन के जरिये डाक बम बासुकीनाथ मंदिर में बिना रुके सीधे प्रवेश कर जाते हैं जिससे डाक बमों को भीड़ का सामना नहीं करना पड़ता हैं।

रात 11 बजे से डाक बमों का प्रवेश हंसडीहा में शुरू हो गया था जो सोमवार की सुबह होने तक बासुकीनाथ की और अनवरत बढ़ते रहे। हंसडीहा से लेकर बासुकीनाथ तक हर तरफ श्रद्धालुओं और सेवा करनेवाले ग्रामीणों का सेवा भाव का इस पथ पर अद्भुत नजारा था।

सोमवारी पर बासुकीनाथ धाम (Basukinath Dham) में जल चढ़ाने के लिए डाक बमों व श्रद्धालुओं का सैलाब बोल बम-बोल बम के जयकारे के साथ आगे बढता जा रहा था। वहीं बाबाधाम दूर है जाना जरूर है।

माता बम बोल बम, छोटू बम बोल बम आदि जयकारे से समूचा मेला मार्ग शिव भक्ति में रात भर डूबा रहा। रिमझिम फुहारों एवं खुशनुमा मौसम में डाक बम अपने पैरों में पड़े छालों की पीड़ा को भूल कदम आगे बढ़ा रहे थे।

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