Ranchi Crime News!: झारखंड के सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की कहानियां कोई नई बात नहीं। ताजा मामला खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग से सामने आया है।
विधिक माप विज्ञान के संयुक्त नियंत्रक कृष्ण चंद्र चौधरी पर फर्जीवाड़े और अनुशासनहीनता के गंभीर आरोप लगे हैं। विभाग ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बताते चलें कि इस मामले को लेकर सरकार ने जल्द से जल्द जांच कर कारवाई करने का निर्देश दिया था।
क्या है मामला?
चौधरी ने अपने सहकर्मी, सहायक नियंत्रक मीर कासिम अंसारी के खिलाफ फर्जी पत्र GPO रांची से पोस्ट किया। शिकायत के बाद विभाग ने जांच कमेटी गठित की, जिसने चौधरी को दोषी पाया। इसके बाद उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन जवाब असंतोषजनक रहा।
अनुशासनहीनता का दूसरा मामला
चौधरी यहीं नहीं रुके। उन्होंने बिना अवकाश स्वीकृति के मुख्यालय छोड़ा और बिना सक्षम प्राधिकार के अनुमोदन के अपने कार्य क्षेत्र का प्रभार कनिष्ठ अधिकारी को सौंप दिया। इस मामले में भी उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया, जो विभाग को संतोषजनक नहीं लगा।
इस तरह हुई निलंबन की कार्रवाई
दोनों मामलों में अनियमितता और अनुशासनहीनता साबित होने पर विभाग ने सख्त कदम उठाते हुए चौधरी को तुरंत निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई सरकारी कर्मचारियों में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम मानी जा रही है। चौधरी के निलंबन के बाद विभाग अब मामले की गहराई से जांच कर रहा है।
कोतवाली थाने में दर्ज हुआ केस
रांची के कडरू स्थित मापतौल विभाग के संयुक्त नियंत्रक कृष्णा चंद्र चौधरी के खिलाफ फर्जीवाड़ा और ब्लैकमेलिंग के आरोप में कोतवाली थाने में केस दर्ज किया गया था। यह शिकायत चाईबासा में मापतौल विभाग के सहायक नियंत्रक मीर कासिम अंसारी ने दर्ज कराया था। अंसारी ने आरोप लगाया कि चौधरी ने 7 साल पुरानी रिपोर्ट का दुरुपयोग कर उन्हें ब्लैकमेल करने और विभाग की छवि खराब करने की कोशिश की।
CCTV फुटेज ने खोला राज
मौर कासिम अंसारी के मुताबिक, 4 अप्रैल 2025 को उन्हें इंडिया पोस्ट से एक मैसेज मिला। जांच करने पर पता चला कि उनके नाम पर किसी ने खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता विभाग के सचिव को एक पत्र भेजा था। अंसारी ने तुरंत इसकी सूचना सचिव को दी। इसके बाद, 7 अप्रैल को वह GPO रांची पहुंचे और CCTV फुटेज की मदद से मामले की पड़ताल की। फुटेज में साफ हुआ कि संयुक्त नियंत्रक कृष्णा चंद्र चौधरी 4 अप्रैल को एक लिफाफा लेकर स्पीड पोस्ट करने GPO पहुंचे थे।
7 साल पुरानी रिपोर्ट से हुआ खुलासा
मामले की गहराई से जांच के लिए मीर कासिम अंसारी ने 9 अप्रैल को सचिव को एक आवेदन दिया। इसके बाद उन्हें सचिव को भेजे गए पत्र की जानकारी मिली, जिसमें पता चला कि यह पत्र सात साल पुरानी एक रिपोर्ट थी, जिसे मीर कासिम ने पहले तैयार किया था। अंसारी का आरोप है कि इस रिपोर्ट को जानबूझकर भेजकर उनके खिलाफ साजिश रची गई। उन्होंने कहा कि इस फर्जीवाड़े के जरिए न केवल उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई, बल्कि मापतौल विभाग और उनकी व्यक्तिगत छवि को भी धूमिल करने का प्रयास हुआ।