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हजारीबाग का ये स्कूल शाम होते बन जाता है शराबियों और जुआरियों का अड्डा!

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हजारीबाग: बरही प्रखंड (Barhi Block) के करियातपुर उत्क्रमित+2 उच्च विद्यालय (Kariyatpur Upgraded + 2 High School) में कई वर्षों पहले बना कुआं आज बेहद ही खराब स्थिति में है। कुएं की स्थिति इतनी खराब है इसका पानी भी उपयोग में नहीं लाया जा सकता।

बता दें यह कुआं School के बीचों बीच में स्थित है। इस कुआं के बगल में बच्चों के पढ़ने के लिए क्लास रूम (Class Room) है। कुआं पूरी तरह से खुला हुआ है।

कुआं कभी भी अप्रिय घटना को दे सकता है दावत

कुआं और जमीन दोनों समतल दिखाता है। यहां पता नहीं चलता है कि कुआं है। यह कुआं स्कूल के बच्चों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

इसलिए स्कूली बच्चों को बहुत ही सावधानी पूर्वक (Carefully) रहना पड़ता है। खेलने कुदने में बड़ी सावधानी बरतनी पड़ती है।

ऐसे में अब सवाल उठता है कि वर्तमान समय में जब कुआं का उपयोग नहीं किया जा रहा है तो इस कुआं को रखने का क्या औचित्य है? इस कुआं के रहने से कभी भी बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है।

वहीं विद्यालय अध्यक्ष सकलदेव ठाकुर (Sakaldev Thakur) से पुछे जाने पर उन्होंने ने बताया कि विद्यालय परिसर में कुआं के रहने का कोई मतलब नहीं है इससे किसी तरह का उपयोग नहीं किया जाता और ना ही इसमें पानी रहता है। इस कुआं को भर देना ही बेहतर है ताकि भविष्य में किसी भी तरह के अप्रिय घटना न हो सके।

शराबियों जुआरियों का बना अड्डा

अध्यक्ष सकलदेव ठाकुर ने कहा विद्यालय में चारदीवारी (Boundary Wall) ना होना भी विद्यालय के लिए एक बड़ी समस्या है। विद्यालय में चारदीवारी नहीं होने के कारण रात में शराबियों जुआरियों का अड्डा बना रहता है।

जगह-जगह पर शराब एवं पानी (Wine And Water) की बोतल फेंकी रहती है। चारदीवारी नहीं रहने के कारण स्कूल के अगल बगल में शौच भी लोगों के द्वारा कर दिया जाता है जिसे पढ़ने वाले बच्चों को काफी दिक्कत होता है।

थाली से जबरन खाना खाने की कोशिश

विद्यालय में मध्याह्न भोजन खाने के समय बच्चों को आवारा कुत्ते बहुत तंग करते हैं। खुला रहने के कारण आवारा कुत्ते स्कूल में आ जाते हैं और बच्चों के थाली से जबरन खाना खाने का प्रयास करते हैं, तो कभी खाना बनाने वाले बर्तन को जुठा कर देते हैं।

एक रसोइया को खाना खाने के समय आवारा कुत्तों के लिए पहरा देना पड़ता है।

तभी बच्चे खाना खा पाते हैं।चारदीवारी नहीं होने से विद्यालय प्रबंधन (School Management) को बहुत तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

इस समस्या के संबंध में सांसद ,विधायक एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से कई बार चारदीवारी बनाने के लिए गुहार लगाया गया है फिर भी चारदीवारी बनाने का कोई भी जनप्रतिनिधि (Public Representatives) के द्वारा पहल नहीं किया जा रहा है।

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