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दिल्ली के मुंडका में लगी भीषण आग, 27 लोगों की मौत

इमारत में कई कंपनियों का कार्यालय और फैक्टरी है

नई दिल्ली:  दिल्ली के मुंडका (Delhi Mundka) इलाके में शुक्रवार शाम को एक चार मंजिला इमारत में भीषण आग लग गई।

इस भीषण आग में 27 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग घायल हो गए। घायलों को संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital) में भर्ती कराया गया है।

इमारत में कई कंपनियों का कार्यालय और फैक्टरी है। आग लगने के बाद इन कार्यालय में काम करने वाले ज्यादातर लोग इमारत में फंस गए।

सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से राहत और बचाव का काम शुरू किया। राहत बचाव में लगे कर्मियों ने रस्सी की मदद से आग की लपटों के बीच इमारत में फंसे करीब सौ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।

इसी दौरान एक महिला ने अपनी जान बचाने के लिए तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी। जिसे बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।

रात दस बजे दमकल कर्मियों ने पहली और दूसरी मंजिल पर आग बुझाने के बाद सर्च अभियान चलाया, जहां से दमकलकर्मियों ने एक-एक कर 26 शवों को बाहर निकाला।

दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि तीसरी मंजिल पर सर्च अभियान नहीं चलाया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आग पर काबू करने के बाद ही आग लगने के सही कारणों का पता चल पाएगा।

इस मामले में पुलिस ने एक कंपनी के संचालक हरीश गोयल और वरुण गोयल को हिरासत में लिया है। इमारत के मालिक मनीष लाकड़ा से भी पुलिस पूछताछ कर रही है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि आग इमारत की पहली मंजिल से शुरू हुई, जहां पर सीसीटीवी कैमरों और राउटर निर्माण कंपनी कोफे इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार शाम करीब 4.45 बजे मुंडका के तीन मंजिला व्यवसायिक इमारत में आग लगने की जानकारी मिली। इस इमारत में कई कंपनियों के कार्यालय हैं।

आग लगने के दौरान इन कार्यालय में काफी लोग मौजूद थे। बताया जा रहा है कि सीसीटीवी वाली कंपनी से आग की शुरूआत हुई।

कुछ ने आग लगते ही वहां से भागने की कोशिश की लेकिन ज्यादातर लोग आग में फंस गए। पहली मंजिल पर लगी आग तुरंत ऊपर की मंजिलों में फैल गई।

इमारत से आग की लपटें निकलने लगी। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भगाने लगे। इमारत में लगी आग को देखकर आस पास के लोग वहां पहुंच गए और करीब 20 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस दौरान एक महिला ने तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी।

जिसे पास के अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस और दमकल कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर राहत बचाव का काम शुरू किया ।

पुलिस कर्मियों ने इमारत की खिड़कियां तोड़कर वहां फंसे करीब 80 लोगों को रस्सी की मदद से बाहर निकाला, जिसमें से 12 लोग आग के चपेट में आकर मामूली रूप से झुलस गए थे। पुलिस ने घायलों को संजय गांधी अस्पताल भेजा ।

दस बजे रात में पहली और दूसरी मंजिल की आग बुझाने के बाद दमकल कर्मियों ने सर्च अभियान चलाया। इस दौरान दोनों ही मंजिल से एक एक कर 25 शवों को बरामद किया गया।

दमकल अधिकारियों का कहना है कि अभी तीसरी मंजिल पर सर्च अभियान चलाया जाना बाकी है। दमकल कर्मियों ने और शव मिलने की आशंका जताई है।

आग काबू करने के लिए रोबोटिक फायर फाइटिंग मशीन का इस्तेमाल

दमकल विभाग ने मुंडका स्थित इमारत में लगी आग पर काबू करने के लिए रोबोटिक फायर फाइटिंग मशीन का भी इस्तेमाल किया। यह मशीन जर्मनी में बनी है।

दमकल विभाग के पास ऐसी तीन मशीनें हैं। यह मशीन ऐसी जगहों पर लगी आग को बुझाने में सक्षम हैं, जहां दमकलकर्मी नहीं पहुंच पाते है।

मशीन को 300 मीटर की दूरी से रिमोट के जरिए संचालित किया जाता है। रिमोट कंट्रोल के जरिए आग लगने वाली जगह पर मशीन को अंदर भेजा जाता है।

आग, धुआं, गर्मी या किसी भी स्थिति में मशीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें सेना के टैंकों की तरह ट्रैक सिस्टम लगा हुआ है, जिसकी मदद से सीढ़ियों पर भी आसानी से चला जा सकता है।

रोबोट में कैमरे लगे हैं जिससे आग लगने वाली जगह पर पता लगाया जा सकता है कि वहां कोई फंसा तो नहीं है।

रोबोट के पिछले हिस्से में पाइप जोड़ा जाता है जिससे बाहर खड़े दमकल की गाड़ियों से पानी को खींचकर अंदर बौछार किया जाता है।

इसमें 140 हॉर्स पावर का इंजन लगा हुआ है और पानी के बौछार के लिए कई नोजल लगे हुए हैं। इसके आगे वाले हिस्से में सेंसर लगा है। सेंसर आग के समीप जाकर वहां की गर्मी के मुताबिक पानी का छिड़काव करता है।

आग से बचाव के नहीं थे कोई उपाय

जिस इमारत में आग लगी, उसमें आग से बचाव के कोई उपाय मौजूद नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि इस इमारत में आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने का रास्ता तक नहीं था।

यही वजह है कि यहां भारी जान माल का नुकसान हुआ। हैरत की बात है कि बिना दमकल तथा पुलिस के एनओसी के कैसे यहां पर फैक्टरी तथा ऑफिस चलाए जा रहे थे। ऐसी जगह जहां ढाई सौ-तीन सौ लोग काम करते हो, वहां आग लगने या दूसरे इमरजेंसी के दौरान तुरंत निकासी के उपाय किए जाते हैं।

जानकारों का कहना है कि यहां जब आग लगी तो लोग अचानक फंस गए थे, जबकि उन्हें जान बचाने के लिए भागने का मौका तक नहीं मिला।

इतना ही नहीं यहां पर फायर सेफ्टी नॉर्म्स का भी पूरी तरह से उल्लंघन किया गया। क्योंकि यहां ऑटो फायर सेफ्टी सिस्टम तक नहीं था।

यहां सीसीटीवी मेन्युफैक्चरिंग के अलावा गोदाम भी था। जहां भारी मात्रा में प्लास्टिक और अन्य सामान रखा हुआ था। यह सभी सामान काफी ज्वलनशील था, जिसकी वजह से आग बहुत ही तेजी से फैली।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि पहली मंजिल में आग लगते ही वहां अफरा-तफरी मच गई। इमारत में फंसे लोग बाहर निकलने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे।

बताया जा रहा है कि जनरेटर से आग लगी और धुंआ की वजह से लोग कुछ देख नहीं पा रहे थे। बाकी कुछ लोग आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बता रहे हैं।

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