Premanand Maharaj in vrindavan : वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने एकांतिक वार्तालाप के दौरान एक व्यक्ति की समलैंगिक संबंधों से जुड़ी समस्या पर आध्यात्मिक और व्यावहारिक सलाह दी। व्यक्ति ने बताया कि उसके 150 से अधिक पुरुषों के साथ समलैंगिक संबंध रहे हैं, लेकिन उसे मन की अशांति, डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
इस पर प्रेमानंद महाराज ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि यह शर्मिंदगी का विषय नहीं है, बल्कि भगवान की विशेष कृपा है, जिसे संयम और भक्ति के जरिए सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।
प्रेमानंद महाराज ने दी ये सलाह
महाराज ने कहा कि जैसे डॉक्टर से बीमारी नहीं छिपाई जाती, वैसे ही गुरु के सामने अपनी बात खुलकर रखनी चाहिए। उन्होंने व्यक्ति को बिना किसी संकोच के अपनी भावनाएं साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि व्यक्ति में स्त्री के प्रति स्वाभाविक आसक्ति का अभाव है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से एक वरदान हो सकता है। उन्होंने कहा, “शास्त्रों में वर्णन है कि तपस्वियों को स्त्री के प्रति आसक्ति ने डिगाया। तुम्हारा स्वाभाविक आकर्षण नहीं है, बस पुरुषों के प्रति आकर्षण को नियंत्रित कर लो, तो तुम भगवत प्राप्त महापुरुष बन सकते हो।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि काम भाव सृष्टि को आगे बढ़ाने और संतान प्राप्ति के लिए है, न कि मनोरंजन के लिए। अनियंत्रित काम भाव व्यक्ति का पतन करता है, जबकि संयम से वह उत्कृष्ट मानव बन सकता है।
महाराज ने कहा कि समलैंगिक प्रवृत्ति पूर्व जन्मों के संस्कारों का परिणाम हो सकती है। मनुष्य जीवन इन संस्कारों को जीतने के लिए मिला है, न कि उनमें डूब जाने के लिए। उन्होंने व्यक्ति को भगवान के नाम का जाप करने और नियम-संयम अपनाने की सलाह दी।
प्रेमानंद महाराज ने इस संवेदनशील मुद्दे को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखते हुए व्यक्ति को न तो दोषी ठहराया और न ही उसका तिरस्कार किया। बल्कि, उन्होंने इसे एक अवसर के रूप में प्रस्तुत किया, जहां व्यक्ति अपनी प्रवृत्तियों को नियंत्रित कर आध्यात्मिक उन्नति कर सकता है। उन्होंने भक्ति, जप और नियमित जीवनशैली को अपनाने पर जोर दिया ताकि व्यक्ति अपने मन की अशांति और डर से मुक्त हो सके।