HomeUncategorizedडेल्टा वेरिएंट के पास है इम्यून रेस्पांस को चकमा देने की क्षमता

डेल्टा वेरिएंट के पास है इम्यून रेस्पांस को चकमा देने की क्षमता

Published on

spot_img
spot_img
spot_img

नई दिल्ली: डेल्टा वेरिएंट के पास इम्यून रेस्पांस को चकमा देने की क्षमता कोरोना के अन्य वेरिएंट के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

चाहे ये इम्यून रेस्पांस वैक्सीनेशन से पैदा हुआ हो, या कोविड संक्रमण के चलते। यह दावा ‎किया है शोधकर्ताओं ने।

कोविड-19 का स्वरूप ‘बी.1.617.2’ या ‘डेल्टा’ का पहला मामला 2020 अंत में भारत में सामने आया था और इसके बाद यह पूरे विश्व में फैला।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) के पास ऐस्ट्राजेनेका और फाइजर वैक्सीन से पैदा हुए इम्यून रेस्पांस को मूल कोरोना वायरस के मुकाबले चकमा देने की क्षमता 8 गुना है।

इसके अलावा पहले संक्रमित हो चुके लोगों के डेल्टा वेरिएंट से दोबारा संक्रमित होने की संभावना 6 गुना है।

शोध में पाया गया है कि डेल्टा वेरिएंट के पास अपनी प्रतिकृति बनाने की बेहद उच्च क्षमता है। इससे लोगों को संक्रमित करने में वायरस की क्षमता बढ़ जाती है और यही वजह है कि डेल्टा वेरिएंट (बी.1.617.2) दुनिया भर में बेहद संक्रामक है।

अध्ययन में कहा गया है कि प्राकृतिक संक्रमण या टीकों के माध्यम से निर्मित एंटीबॉडीज को निष्क्रिय करने के लिए ‘प्रतिकृति फिटनेस में वृद्धि’ और ‘संवेदनशीलता में कमी’ ने 90 से अधिक देशों में डेल्टा संस्करण के तेजी से प्रसार में योगदान दिया था।

शोधकर्ताओं ने दिल्ली स्थित तीन अस्पतालों के 9 हजार स्वास्थ्य कर्मियों में ब्रेक थ्रू इंफेक्शन का अध्ययन किया है, जो पूर्ण टीकाकरण करवाने के बाद भी संक्रमित हुए।

इन कर्मियों में 218 ऐसे थे, जिनमें कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी ब्रेक थ्रू इंफेक्शन में संक्रमण के लक्षण थे।

इस कोहोर्ट ग्रुप में डेल्टा वेरिएंट का प्रिवैलेंस अन्य वेरिएंट के मुकाबले 5.45 गुना ज्यादा था।

अध्ययन में पाया गया कि ‘डेल्टा’ स्वरूप पहले से संक्रमित लोगों के ‘सीरा’ की तुलना में 5.7 गुना कम संवेदनशील है और ‘अल्फा’ स्वरूप की तुलना में टीके के ‘सीरा’ के प्रति आठ गुना कम संवेदनशील है।

अन्य शब्दों में, टीका लगे किसी व्यक्ति को इससे संक्रमित होने से रोकने के लिए आठ गुना प्रतिरोधक क्षमता चाहिए।

ब्रिटेन में ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के प्रोफेसर एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखकों में से एक रवींद्र गुप्ता ने कहा, ‘भारत में 2021 में संक्रमण की दूसरी लहर के कहर के दौरान इन कारकों की भूमिका बहुत रही होगी, जहां कम से कम आधे मरीज वे थे, जो पहले भी संक्रमण के अन्य स्वरूप की चपेट में आ चुके थे।

’यह जांचने के लिए कि ‘डेल्टा’ स्वरूप प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से बचने में कितना सक्षम था, टीम ने ब्रिटेन के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (एनआईएचआर) बायोरिसोर्स’ के कोविड-19 ‘कोहोर्ट’ (जांच के) के हिस्से के रूप में एकत्र किए गए रक्त के नमूनों से सीरम निकाला।

ये नमूने उन लोगों के थे, जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे या जिन्हें ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (जिसे भारत में कोविशील्ड कहा जाता है) का टीका या फाइजर का टीका लगा था।

सीरम में संक्रमण या टीकाकरण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता होती है।

spot_img

Latest articles

चूटूपालू घाटी में ट्रेलर का कहर, कई गाड़ियां चपेट में, दर्जनभर से ज्यादा घायल

Accident in Chutupalu Valley: जिले में शनिवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। चूटूपालू...

रजरप्पा के पास हाथियों की दस्तक, जनियामारा में दहशत का माहौल

Elephants Arrive Near Rajrappa : रामगढ़ जिले के रजरप्पा क्षेत्र में जंगली हाथियों (Wild...

सदर अस्पताल रांची की बड़ी उपलब्धि, तीन क्षेत्रों में मिला सम्मान

Sadar Hospital Ranchi's big Achievement: सदर अस्पताल रांची ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में...

खनिज भूमि पर सेस बढ़ा, विकास और पर्यावरण को मिलेगा सहारा

Cess on Mineral Land Increased: झारखंड सरकार ने खनिज धारित भूमि पर लगने वाले...

खबरें और भी हैं...

चूटूपालू घाटी में ट्रेलर का कहर, कई गाड़ियां चपेट में, दर्जनभर से ज्यादा घायल

Accident in Chutupalu Valley: जिले में शनिवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। चूटूपालू...

रजरप्पा के पास हाथियों की दस्तक, जनियामारा में दहशत का माहौल

Elephants Arrive Near Rajrappa : रामगढ़ जिले के रजरप्पा क्षेत्र में जंगली हाथियों (Wild...

सदर अस्पताल रांची की बड़ी उपलब्धि, तीन क्षेत्रों में मिला सम्मान

Sadar Hospital Ranchi's big Achievement: सदर अस्पताल रांची ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में...