नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाना है: उप राष्ट्रपति

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नई दिल्ली: उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 का लक्ष्य भारत को ज्ञान के क्षेत्र में एक वैश्विक महाशक्ति बनाना है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्यय भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समग्र, बहु-विषयक और व्यावहारिक बनाना है।

नायडू ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), अगरतला के 13वें दीक्षांत समारोह को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति से प्रेरित है, जिसमें छात्रों के व्यक्तित्व के समग्र और सम्पूर्ण विकास को केन्द्र में रखा जाता था। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु था, नालन्दा, तक्षशिला में ज्ञान प्राप्ति के लिए दूर देशों से छात्र आते थे। हमें पुनः विश्व गुरु बनना है।

उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से भारत को ज्ञान और नवोन्मेंष का उभरता केन्द्र बनाने के प्रयास करने का आह्वान करते हुए नायडू ने कहा कि वे विभिन्न क्षेत्रों में नए से नए अनुसंधान कार्यक्रमों को अपनाएं, उद्योगों और अन्य समान प्रकार के संस्थानों के साथ तालमेल कायम करें और हमारे शिक्षा परिसरों को सृजनात्मकता और अनुसंधान के उत्साही केन्द्र बनाने में सहयोग करें।

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की युवा शक्ति को ऊंचे सपने देखने की सलाह को याद करते हुए उप राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे अपने लक्ष्य तय करें और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करें।

उन्होंने कहा अब समय आ गया है जब विश्व विद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने पठन-पाठन के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाना चाहिए और अपने अध्यापकों को 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप नई अध्यापन तकनीकों से लैस करना चाहिए।

देश की करीब 65 प्रतिशत आबादी के युवा होने की बात को रेखांकित करते हुए उप राष्ट्रपति ने युवा शक्ति की ऊर्जा को दिशा देने और उनके भीतर उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सही माहौल बनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘यह समय है, जब उनकी प्रतिभा और कुशलता का उपयोग ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए किया जाए। उन्होंने कहा, एनआईटी, अगरतला जैसे संस्थानों को इस युवा शक्ति को नौकरी चाहने वालों के स्थान पर नौकरियां प्रदान करने वाले उद्यमी बनाने की दिशा में आगे आना चाहिए।’

उप राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि एनआईटी, अगरतला ने आसपास के गांवों को ‘मॉडल गांव’ बनाने के उद्देश्यों से उन्हें गोद लिया है। उन्होंने सभी छात्रों से कहा कि उन्हें ग्रामीण भारत के समक्ष पेश चुनौतियों को समझने के लिए अपना कुछ समय गांव में बिताना चाहिए।

कृषि को हमारी आधारभूत संस्कृति (एग्रीकल्चर ऑवर बेसिक कल्चर) बताते हुए, उन्होंने कृषि को व्यवहार्य और लाभ देने वाली गतिविधि में परिणत करने का आह्वान किया।

इस वर्चुअल समारोह में एनआईटी, अगरतला के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के अध्यक्ष डॉ.सुभाष चंद्र सती, एनआईटी, अगरतला के निदेशक प्रोफेसर एच.के. शर्मा, रजिस्ट्रार डॉ. गोविंद भार्गव, डीन, अकादमिक डॉ. अजय कुमार दास, अमेरिका की पीयूआरडीयूई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गौतम दमूरी, मुथा इंस्ट्री ज के अनिल मुथा, एनआईटी के संकाय सदस्यों , कर्मचारियों, छात्रों और उनके अभिभावकों समेत अन्य लोगों ने भाग लिया।

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