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निकम्मी सरकार के कारण विकास की राह पर झारखंड आगे नहीं बढ़ रहा: जयंत सिन्हा

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रांची: पूर्व केंद्रीय मंत्री और हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि आज झारखंड में विकास के काम पूरी से ठप पड़े हुए हैं।

कैपिटल इंफ्रास्ट्रक्चर (निवेश) पर ज्यादा सभी राज्य जोर दे रही है। वहीं दूसरी ओर झारखंड में पिछले सालों में दो प्रतिशत (अब 17 प्रतिशत) ही रह गयी है। सिन्हा मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्र की बात करें, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में झारखंड 19 बड़े राज्यों की श्रेणी में 13 स्थान पर है।

बाल विकास के लिए केंद्र ने झारखंड को 75000 करोड़ रुपये दिये, पर राज्य ने अबतक केवल 22000 करोड़ ही खर्च किया है।

इसी तरह कृषि के क्षेत्र में सरकार तय राशि खर्च करने में विफल रही है। मनरेगा में 900 खर्च की गयी है। पर एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 75 प्रतिशत राशि धांधली में ही खर्च हुए हैं।

इसी तरह बिजली में तो हेमंत सरकार पूरी तरह से फिसड्डी साबित हुई है। डीवीडी कमांड एरिया के जिलों में तो पूरी तरह से अंधकार छाया हुआ है।

राज्य सरकार किस्तों का भुगतान नहीं कर रही है। जबकि इसके पास संसाधन की कोई कमी नहीं है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपना चेहरा चमकाने में लगे हैं, पर कमांड एरिया के जिलों को अंधकार में रखने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने राज्य सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य के पास अपार साधन हैं पर निकम्मी सरकार के कारण राज्य विकास की राह पर आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

अभी देश का और राज्यों के बजट सत्र का समय है। झारखंड सरकार भी अगले कुछ दिनों में बजट पेश करेगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के स्वयं का बजट 2021-22 में 91 हजार 277 करोड़ का है। इसमें से करीब 40 हजार करोड़ का योगदान ग्रांट के तौर पर केंद्र से है।

लेकिन यह सरकार दिन रात केवल साधनों की कमी का रोना रोती है, जबकि साधनों की कोई कमी नहीं है। सरकार केवल कमाई का तरीका ढूंढ़ रही, काम करने का नहीं।

सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार वित्तीय कुप्रबंधन का शिकार है। पिछले पांच सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्य को करीब 900 करोड़ के राजस्व का घाटा उठाना पड़ा है।

डीएमएफटी कलेक्शन की राशि 6533 करोड़ में से केवल 79 फीसदी ही आवंटित किया गया है। इसका भी केवल 46 फीसदी ही उपयोग किया जा सका है।

पारदर्शिता की कमी डीएमएफटी फंड के उपयोग में है। इसके खर्चे की कोई जानकारी लोगों के पास नहीं है। इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और थर्ड पार्टी से ऑडिट की जरूरत राज्य को है।

बिजली कंपनियों की वार्षिक रेटिंग में झारखंड की बिजली कंपनी देश की बिजली वितरण कंपनियों में 41 में से 37 वें पायदान पर है।

उन्होंने कहा कि बरही में पिछले दिनों रूपेश पांडेय की हत्या हो गयी। उन्हें और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को उसके परिजनों से नहीं मिलने दिया गया।

राज्य में लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रखा गया। इससे राज्य में विधि व्यवस्था की पोल खुल गयी है।

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