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मोदी सरकार के असंवैधानिक इलेक्टोरल बॉन्ड से मंत्री गडकरी की ऐसी बॉन्डिंग, बोले- पैसों के बिना राजनीतिक पार्टी चलाना नामुमकिन

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Nitin Gadkari on Electoral Bonds: Congress Party का बैंक खाता Freeze हुआ पड़ा है। करीब एक महीने से। कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगा रही है।

कह रही है कि मोदी सरकार ने जानबूझकर चुनावी मौसम में कांग्रेस का बैंक खाता फ्रीज कर दिया है। Congress को आर्थिक रूप से पंगु बनाने के लिए। Congress का बैंक खाता नहीं, बल्कि देश का लोकतंत्र फ्रीज कर दिया गया है। यह राहुल गांधी ने कहा है। BJP ने इसका जवाब भी दिया है।

पूर्व मंत्री रविशंकर प्रसाद ने खाता फ्रीज किये जाने को सही और कांग्रेस की लापरवाही का ही नतीजा बताया है। इस बीच अब केंद्र की मोदी सरकार में ही मंत्री और BJP के कद्दावर नेता नितिन गडकरी ने कह दिया है कि बिना पैसों के राजनीतिक पार्टी चलना संभव ही नहीं है। गडकरी कहते हैं कि कोई भी पार्टी संसाधनों के बिना नहीं चल सकती।

कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को फंड देती हैं, मगर भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। Nitin Gadkari ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपना कामकाज चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। बिना पैसे के राजनीतिक पार्टी चलाना नामुमकिन है।

केंद्रीय मंत्री Nitin Gadkari ने यह टिप्पणी गुजरात के गांधीनगर में एक कार्यक्रम में की है। लेकिन, बता दें कि गडकरी ने यह टिप्पणी कांग्रेस का फंड (बैंक खाता) फ्रीज किये जाने पर नहीं, बल्कि खुद की पार्टी BJP को मिले भारी-भरकम चंदों के माध्यम ‘Electoral Bond’ को सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिये जाने पर की है।

दरअसल, इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अपनी नाराजगी जता चुका है और उसने इसको लेकर SBI को कई बार फटकार भी लगायी और उससे इसके पूरे लेने-देने का ब्योरा मांगा।

Supreme Court ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है। अब इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर BJP के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि बिना पैसे के राजनीतिक पार्टी चलाना संभव नहीं है। चुनावी बॉन्ड योजना लाने के पीछे हमारी मंशा अच्छी थी।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हमने राजनीतिक दलों को वित्तीय तौर पर मजबूत रखना चाहा। इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे पैसा मिले, लेकिन इसमें दाताओं के नाम का खुलासा नहीं किया जाता है, क्योंकि इससे सत्ता में रहनेवाली पार्टी बदलती है, तो समस्याएं पैदा होती हैं।

गडकरी ने कहा कि सरकार ने 2017 में अच्छे इरादे के साथ इलेक्टोरल बॉन्ड योजना शुरू की थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया है।

अगर Supreme Court इस मामले पर कोई और निर्देश देता है, तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे, मैं उस समय इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में हुई बातचीत का हिस्सा था।”

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