Normal Delivery Vs Caesarean: नॉर्मल डिलीवरी, यानी वेजाइनल डिलीवरी, को आमतौर पर मां और बच्चे के लिए बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसमें मां की रिकवरी तेज होती है और यह प्राकृतिक प्रक्रिया है। कई महिलाएं इसे पसंद करती हैं, क्योंकि यह उन्हें जल्दी सामान्य जीवन में लौटने में मदद करता है। हालांकि, हर स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी सुरक्षित या संभव नहीं होती।
कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे बच्चे की कमजोर स्थिति, धीमी धड़कन या अन्य जटिलताओं के कारण, गाइनेकोलॉजिस्ट सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं ताकि मां और बच्चे की जान को सुरक्षित रखा जा सके।
सिजेरियन को लेकर डर और भ्रांतियां
सिजेरियन डिलीवरी को लेकर समाज में गलतफहमियां और डर इतना गहरा है कि कई लोग इसे स्वीकार करने से हिचकते हैं, भले ही यह मां और बच्चे की जान बचाने का एकमात्र रास्ता हो। हाल ही में एक गर्भवती महिला के मामले ने इस मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया।
डॉक्टर ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो के जरिए इस घटना को साझा किया। उन्होंने बताया कि एक मरीज की देखभाल करने वाली महिला ने उनसे कहा, “अगर बच्चा मरना है तो मर जाए, लेकिन ऑपरेशन मत करना।”
“जड़ ठीक रहेगी, तो फल दूसरा लग जाएगा”
डॉक्टर ने बताया कि जब उन्होंने मरीज की देखभाल करने वाली महिला को सूचित किया कि बच्चा बहुत कमजोर है और उसकी धड़कन कम हो रही है, इसलिए तुरंत सिजेरियन ऑपरेशन जरूरी है, तो उसका जवाब चौंकाने वाला था। महिला ने कहा, “मैडम, बच्चे का क्या है? नौ महीने बाद दूसरा हो जाएगा।
जड़ ठीक रहेगी, तो फल दूसरा लग ही जाएगा।” यह बयान न केवल मां और बच्चे की सुरक्षा के प्रति लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि सिजेरियन डिलीवरी के प्रति गहरी भ्रांतियों को भी उजागर करता है।
सुरक्षित विकल्प क्या है?
डॉक्टर ने अपने Video में कहा, “मैं यह बात बिल्कुल बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कह रही। ये वही शब्द थे जो उस महिला ने मुझसे कहे। मैं सभी से अपील करती हूं कि वे समझें कि सुरक्षित विकल्प क्या है।
क्या वह रास्ता बेहतर है, जिसमें सिजेरियन डिलीवरी से मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें, या वह जोखिम भरी नॉर्मल डिलीवरी जिसमें बच्चे की जान खतरे में हो? फैसला आपको करना है।”
जागरूकता की जरूरत
यह मामला समाज में सिजेरियन डिलीवरी को लेकर मौजूद भ्रांतियों और जागरूकता की कमी को उजागर करता है। डॉक्टरों का कहना है कि नॉर्मल और सिजेरियन डिलीवरी में से कोई भी विकल्प बुरा नहीं है, बशर्ते वह मां और बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार चुना जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भवती महिलाओं और उनके परिजनों को गर्भावस्था के दौरान चिकित्सकीय सलाह पर भरोसा करना चाहिए और भ्रांतियों को दूर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है।