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झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षक हेमंत सरकार के खिलाफ फिर हुए गोलबंद, 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम, फिर आर या पार

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गढ़वा: लंबे समय से स्थायीकरण व वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षक Para Teacher हेमंत सरकार के खिलाफ एक बार फिर से गोलबंद होने लगे हैं।

साथ ही राज्य सरकार को 15 अगस्त तक मांगें मानने का अल्टीमेटम भी दे दिया है। इस बीच अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है

तो इस बार आर या पार की लड़ाई होगी। आंदोलन इतना जबरदस्त होगा कि राज्य सरकार को अपने किये पर पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा।

इस संबंध में प्रेस कान्फ्रेंस करके एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा झारखंड की ओर से आंदोलन का बिगुल फूंक दिया गया है।

अष्टमंडल के सदस्य दशरथ ठाकुर ने स्पष्ट कर दिया है कि अबकी बार आर या पार का राज्य भर में आंदोलन होगा।

इसकी सारी जवाबदेही झारखण्ड सरकार की होगी। प्रेस कान्फ्रेंस में  मुख्य रूप से बृज किशोर तिवारी, संजय चौधरी, सत्येन्द्र कुमार सिंह उपस्थित थे।

सरकार के 19 महीने पूरे पर वादे रह एग अधूरे

प्रेस कान्फ्रेंस में दशरथ ठाकुर ने कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार के 19 माह गुजरने के बाद भी पारा शिक्षकों की समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं होने के कारण पारा शिक्षकों में निराशा के साथ ही आक्रोश का माहौल है।

झारखंड के 65 हजार पारा शिक्षक हेमंत सरकार के खिलाफ फिर हुए गोलबंद, 15 अगस्त तक का अल्टीमेटम, फिर आर या पार

राज्य के 65 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण करने व वेतनमान देने का प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्य के सभी मंत्रियों द्वारा की गई घोषणा को अब तक धरातल पर नहीं उतारना पारा शिक्षकों के साथ धोखा है।

उन्होंने कहा कि नियमावली के नाम पर अभी तक सिर्फ पारा शिक्षकों को ठगने का काम किया गया है।

देश के कई राज्यों ने अपने यहां पारा शिक्षकों को कर दिया स्थायी

उन्होंने कहा कि झारखण्ड राज्य सहित पूरे देश में सर्वशिक्षा अभियान के तहत पारा शिक्षकों की बहाली 2003 से शुरू हुई थी।

देश के सभी राज्यो ने अपने- अपने तरीके से पारा शिक्षकों की मानदेय वृद्धि करने के साथ ही स्थायीकरण व वेतनमान देने का भी काम किया।

इसी क्रम में झारखण्ड राज्य के पड़ोसी राज्य छतीसगढ़, बिहार, उड़ीसा व बंगाल के साथ कई राज्य पारा शिक्षकों को स्थायी कर चुके हैं। झारखण्ड राज्य में पारा शिक्षकों की बहाली से लेकर आज तक पारा शिक्षक संघर्ष व आंदोलन करते आ रहे हैं।

अब तक कई पारा शिक्षकों की जान भी जा चुकी है। वहीं कई पारा शिक्षक रिटायर भी हो गए हैं। बावजूद इसके पारा शिक्षकों का स्थायी समाधान नहीं हो सका है। जो सरकार के लिए शर्म की बात है।

पारा शिक्षकों के परिवारों की हालत दयनीय

उन्होंने कहा कि पारा शिक्षकों व उनके परिवार के सदस्यों की स्थिति दिनोंदिन दयनीय होती जा रही है।

दशरथ ठाकुर ने कहा कि वर्ष 2003 में एक हजार रुपए के मानदेय पर पारा शिक्षकों की बहाली शुरू की गई थी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में प्रथम बार आंदोलन होने के बाद पारा शिक्षकों के मानदेय में सौ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

इसके बाद 2006 में 50, 2008 में 50, 2011 में 39, 2012 में 10, 2014 में 20, 2016 में 10, 2018 में 42 वर्ष 2019 में 48 प्रतिशत की वृद्धि पारा शिक्षकों के मानदेय में की गई है।

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