Jamshedpur News: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर झारखंड में पेसा (पंचायत उपबंध अधिनियम) कानून को तत्काल अधिसूचित कर पूरी तरह लागू करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि 1996 में संसद द्वारा पारित यह कानून अनुसूचित क्षेत्रों में स्वशासन को मजबूत करता है, लेकिन झारखंड में इसे अब तक अधिसूचित नहीं किया गया है, जिससे जनजातीय समाज में असंतोष बढ़ रहा है।
2018 में तैयार हुआ था नियमावली का प्रारूप
पत्र में दास ने बताया कि 2018 में उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार किया गया था। 2023 में वर्तमान सरकार ने इस नियमावली का संशोधित प्रारूप जारी किया, जिसे विधि विभाग और महाधिवक्ता की मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके बावजूद सरकार ने अधिसूचना जारी नहीं की, जिसे दास ने जनजातीय समाज के हितों के साथ खिलवाड़ बताया।
हाई कोर्ट के निर्देश और अवमानना याचिका
दास ने उल्लेख किया कि हाई कोर्ट ने पेसा नियमावली की अधिसूचना के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार की निष्क्रियता के कारण जून 2024 में मुख्य सचिव को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका दायर की गई है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून जनजातीय समाज की पहचान, परंपराओं और धार्मिक विश्वासों की रक्षा का सशक्त माध्यम है।
सर्ना धर्म कोड को मिलेगा संरक्षण
पत्र में दास ने सरना धर्म कोड का जिक्र करते हुए कहा कि पेसा कानून के पूर्ण कार्यान्वयन से ग्राम सभाएं अपनी परंपराओं को दस्तावेज के रूप में राज्य सरकार को सौंप सकेंगी। इससे सरना समाज की सांस्कृतिक विरासत को कानूनी मान्यता और संवैधानिक संरक्षण मिलेगा।
जनजातीय समाज की मांग
रघुवर दास ने मुख्यमंत्री से अपील की कि जनजातीय समाज के हित में पेसा कानून को शीघ्र अधिसूचित किया जाए ताकि स्वशासन को बढ़ावा मिले और उनकी सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे। यह मुद्दा झारखंड की राजनीति और जनजातीय समुदाय के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है।