Latest Newsझारखंडसिब्बल ने अर्थव्यवस्था व रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरा

सिब्बल ने अर्थव्यवस्था व रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरा

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नई दिल्ली: वित्तवर्ष 2021-22 के बजट पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान बुधवार को कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान पर सवाल खड़े किए।

उन्होंने पूछा कि अगर किसान आत्मनिर्भर हैं तो वे आंदोलन क्यों कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने सरकार को अर्थव्यवस्था, निजीकरण के नाम पर सर्वजनिक उपक्रमों को बेचे जाने तथा रोजगार के मुद्दों पर भी घेरा।

कपिल सिब्बल ने संसद में चर्चा के दौरान केंद्र की मोदी सरकार से सवाल किया कि क्या देश के लोग आत्मनिर्भर हैं? क्या एमएसएमई, छोटे व्यापारी व अलग-अलग क्षेत्र आत्मनिर्भर हैं?

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि 86 फीसदी किसानों की ज़मीन पांच एकड़ से कम है, तो क्या वो आत्मनिर्भर हैं?

क्या किसान इस वजह से आंदोलन कर रहा है, क्योंकि वो आत्मनिर्भर है? उन्होंने कहा कि ‘भाषण तो हो सकता है, शब्‍दों की बाजीगरी भी हो सकती है लेकिन हिंदुस्‍तान की जमीनी हकीकत क्‍या है, ये आपको समझना होगा।”

कांग्रेस सांसद ने अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पहले से ही खराब थी लेकिन वर्तमान में आपसी सरकार ने इसे और बर्बाद कर दिया है।

सिब्‍बल ने कहा कि पिछले पांच सालों में इस सरकार के कुप्रबंधन से देश की अर्थव्‍यवस्‍था खराब हुई है। वहीं, बजट को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बार की घोषणाओं में भारत के आम लोगों को ही भुला दिया।

रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कपिल सिब्बल ने कोविड के कारण देश में लॉकडाउन का जिक्र करते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान करीब 2.1 करोड़ नौकरियां चली गईं।

लोग बेरोजगार होने की सूरत में अपने घर जाने को बेताब थे और पैदल चले जा रहे थे लेकिन सरकार इन लोगों के जख्‍मों पर मरहम तक नहीं लगा सकी।

उसे केवल कुछ उद्योगपति ही याद थे। ऐसा ही कुछ हाल आज किसानों के साथ भी हो रहा है। किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार उनकी सुनने के बजाय सिर्फ अपनी बात किए जा रही है।

सरकार के पूंजीपति मित्रों का हवाला देते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि सिर्फ चार-पांच बड़े लोग हैं, जो लगभग सारी संपत्तियों के मालिक हैं। यहीं नहीं एक शख्स तो ऐसा है जो हर जगह है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स, रेलवे हर जगह एक ही नाम छाया हुआ है।

यह होगा भी क्यों नहीं, जब आप किसी के जहाज पर जाएंगे तो उसे एयरपोर्ट तो देना ही होगा।

इसीलिए सरकार ने उस एक को ही छह-सात एयरपोर्ट दे दिए। भले ही सरकार के इस फैसले का विरोध नीति आयोग करे या वित्त मंत्रालय इस पर सवाल उठाए लेकिन सबको दरकिनार कर दिया गया।

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