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समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में केंद्र सरकार, आम लोगों और धार्मिक संस्थाओं से मांगे सुझाव, जानिए क्यों लग रहा इतना समय

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नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लाने की तैयारी तेज कर दी है।

सरकार की ओर से गठित 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर आम जनता (General Public) और धार्मिक संस्थाओं (Religious Institutions) के प्रमुखों से विचार विमर्श और राय मांगने का कार्य शुरू कर दिया है।

हालांकि, ये पहली बार नहीं है, जब राय मांगी गई है। Uniform Civil Code के मुद्दे पर आयोग ने साल 2018 में भी एक राय पत्र जारी किया था।

इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरकार को सारी प्रक्रिया को पूरा करने में इतना समय क्यों लग रहा है? वहीं, एक बार फिर से लोगों से राय क्यों मांगी गई है?

समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में केंद्र सरकार, आम लोगों और धार्मिक संस्थाओं से मांगे सुझाव, जानिए क्यों लग रहा इतना समय Suggestions sought from central government, common people and religious institutions in preparation for bringing Uniform Civil Code, know why it is taking so much time

क्या है समान नागरिक संहिता?

समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति (Religion or Caste) का क्यों न हो।

समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।

Uniform Civil Code का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य कानूनों का एक समान सेट प्रदान करना है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।

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धर्म के आधार पर नहीं होगा भेदभाव

देश में संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता को लेकर प्रावधान हैं।

इसमें कहा गया है कि राज्य इसे लागू कर सकता है। इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना है।

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राज्यों को दिया व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार

पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन कानून मंत्री (Law Minister) किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा था कि समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह और तलाक जैसे मुद्दों को तय करने वाले व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार दिया गया है।

वहीं, केंद्र सरकार (Central Government) ने शीर्ष कोर्ट में दायर अपने एक हलफनामे (Affidavits) में कहा था कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है।

सरकार ने इसके लिए संविधान के चौथे भाग में मौजूद राज्य के नीति निदेशक तत्वों का ब्यौरा दिया।समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी में केंद्र सरकार, आम लोगों और धार्मिक संस्थाओं से मांगे सुझाव, जानिए क्यों लग रहा इतना समय Suggestions sought from central government, common people and religious institutions in preparation for bringing Uniform Civil Code, know why it is taking so much time

BJP की राह में अड़चन नहीं ?

BJP की विचारधारा से जुड़े राम मंदिर और अनुच्छेद 370 की राह में कई कानूनी अड़चनें थी, मगर समान नागरिक संहिता मामले में ऐसा नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से लेकर कई राज्यों के हाईकोर्ट ने कई बार इसकी जरूरत बताई है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।

इसी संदर्भ में केंद्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत में कहा था कि वह समान कानून के पक्ष में है।

संविधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धांतों (Stated Directive Principles) में समान नागरिक संहिता की वकालत की गई है।

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कमेटी कर रही रिपोर्ट का इंतजार

दरअसल, अब देश भर में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए सरकार और विधि आयोग को उत्तराखंड सरकार द्वारा जस्टिस रंजना देसाई (Justice Ranjana Desai) की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है।

सरकार इसी रिपोर्ट के आधार पर समान नागरिक संहिता को पूरे देश में लागू करने के लिए मॉडल कानून (Model Law) बनाने की तैयारी में है।

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अंतिम चरण की बैठकें कर रही कमेटी

गौरतलब है कि देसाई कमेटी (Desai Committee) रिपोर्ट पेश करने से पहले अंतिम चरण की बैठकें कर रही है।

इस मामले में करीब ढाई लाख सुझाव मिले थे। इसका कमेटी ने अध्ययन कर लिया है।

इसके अलावा करीब-करीब सभी हितधारकों से संवाद के बाद कमेटी Report को अंतिम रूप देने के लिए बैठकें कर रही हैं।

उम्मीद जताई जा रही है कि कमेटी जल्द ही Report पेश कर देगी।

दो राज्यों को भी रिपोर्ट का इंतजार

वहीं, उत्तराखंड की तर्ज पर गुजरात और मध्यप्रदेश सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है।

केंद्र सरकार की तरह इन दो राज्य सरकारों को भी जस्टिस रंजना कमेटी (Justice Ranjana Desai Committee) की रिपोर्ट का इंतजार है।

समान नागरिक संहिता कानून पर गुजरात कैबिनेट (Gujarat Cabinet) मुहर भी लगा चुकी है।

कुछ राज्यों ने लागू करने की दिखाई दिलचस्पी

BJP इस मामले में जनसंख्या नियंत्रण कानून की तर्ज पर कदम उठा सकती है।

गौरतलब है, जनसंख्या नियंत्रण के लिए पहले पार्टी शासित राज्यों असम और उत्तर प्रदेश ने कदम उठाए।

इसके बाद कई और पार्टीशासित राज्यों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई। सूत्रों का कहना है कि समान नागरिक संहिता मामले में भी BJP यही रणनीति अपना सकती है।

इसके तहत पहले कुछ राज्य इसे लागू करें और बाद में इसे पूरे देश में लागू किया जाए।

आयोग ने सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से मांगी राय

केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता को लाने की एक बार फिर तैयारी तेज कर दी है।

विधि आयोग ने बुधवार को समान नागरिक संहिता के मसले पर नए सिरे से परामर्श मांगने की प्रक्रिया शुरू की है।

आयोग ने सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर राय मांगी है।

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