झारखंड

मोइन कुरैशी मामले की धीमी जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने CBI को लगाई फटकार

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को मांस निर्यातक (मीट एक्सपोर्टर) मोइन अख्तर कुरैशी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई को उसकी धीमी जांच को लेकर फटकार लगाई।

इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो पूर्व निदेशकों रंजीत सिन्हा और ए.पी. सिंह की भूमिका भी सामने आई है और इसे लेकर जांच भी चल रही है।

विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो से सवाल पूछते हुए कहा, चार साल बीत चुके हैं। कोई जांच नहीं हुई। आप और कितने साल लगाएंगे? क्या सात से दस और साल लगा देंगे?

न्यायाधीश ने कहा, एक सीबीआई निदेशक अभियुक्त है और एजेंसी खुद मामले की जांच कर रही है। मैं हैरान हूं। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।

निर्यातक को 2017 में कथित तौर पर व्यक्तियों से सीधे तौर पर या हैदराबाद स्थित व्यवसायी सतीश सना बाबू के माध्यम से धन एकत्र करने और सीबीआई जांच को प्रभावित करने के लिए फंड का उपयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

सीबीआई को अदालत की फटकार का सामना करना पड़ा, क्योंकि इससे पहले इसके लोक अभियोजक ने कहा कि उसके हाल के आदेशों में से चार आदेशों, सात अगस्त, 26 अगस्त, 26 सितंबर और 27 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है और उन्हें सूचीबद्ध भी किया गया है।

इसके बाद, हाईकोर्ट की ओर से आदेशों पर रोक नहीं लगाए जाने पर ट्रायल कोर्ट ने मामले को 24 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।

सितंबर में भी अदालत ने मामले में प्रगति नहीं होने पर केंद्रीय एजेंसी को फटकार लगाई थी। इसके साथ ही अदालत ने सीबीआई से कई सवालों के जवाब देने को भी कहा था। इसने एजेंसी को 27 अक्टूबर तक अपनी जांच पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश जारी किया था।

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