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मॉब लिंचिंग को धर्म से जोड़कर देखना गलत, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

Supreme Court ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए।

Supreme Court on Mob Lynching: Supreme Court ने मंगलवार को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि घटनाओं को धर्म के आधार पर नहीं देखा जाना चाहिए।

दरअसल, कोर्ट के पूछने पर याचिकाकर्ता ने बताया था कि याचिका में उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में Selective मत बनिए, क्योंकि यह मामला सभी राज्यों से जुड़ा है।

Justice B R गवई, Justice अरविंद कुमार और Justice संदीप मेहता की बेंच ने कई राज्यों से मॉब लिंचिंग मामलों में उनकी कार्रवाई पर 6 हफ्ते में जवाब भी मांगा है। अगली सुनवाई Supreme Court की गर्मियों की छुट्टियों के बाद होगी।

मॉब लिंचिंग को लेकर नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन (National Federation of Indian Women) ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में अल्पसंख्यकों (Minorities) के खिलाफ भीड़ की हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी पर चिंता जताई गई थी।

साथ ही Mob Lynching में जान गंवाने वाले पीडि़तों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई थी। वकील निजाम पाशा ने कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान पाशा ने कहा कि मध्य प्रदेश में मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी, लेकिन पीडि़तों के खिलाफ गोहत्या की FIR दर्ज की गई थी।

अगर राज्य सरकार मॉब लिंचिंग की घटना से ऐसे ही इनकार करती रही, तो 2018 के तहसीन पूनावाला मामले में Supreme Court के फैसले का पालन कैसे होगा।

पूनावाला मामले में Supreme Court ने राज्यों को भीड़ खासकर गौरक्षकों द्वारा हत्या की घटनाओं की जांच करने के लिए कई निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने आदेश में राज्य सरकार को पीड़ितों को 1 महीने के अंदर मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

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