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तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार

हैदराबाद: तेलंगाना (Telangana) में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने हैं और राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन (Governor Tamilisai Sundararajan) की ओर से राज्य विधानमंडल (State Legislature) द्वारा पारित कुछ विधेयकों को मंजूरी देने में देरी से शासन में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है।

सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने समस्या के समाधान के लिए Supreme Court पर नजरे गड़ाई है। BRS नेता चुनी हुई सरकार को कमजोर करते हुए एक समानांतर व्यवस्था चलाने के लिए राज्यपाल को निशाना बना रहे हैं।

कुछ विधेयकों पिछले साल सितंबर से लंबित

लंबित बिलों पर गतिरोध और BRS सरकार द्वारा पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका ने सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध को एक अभूतपूर्व मोड़ दे दिया है।

BRS को उम्मीद थी कि पिछले महीने राज्य विधानमंडल (State Legislature) के बजट सत्र के दौरान हुए संघर्ष विराम के साथ, सुंदरराजन विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर देंगी। इनमें से कुछ पिछले साल सितंबर से लंबित हैं।

सरकार ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई

लेकिन राजभवन से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर, BRS ने विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करके मामले को Supreme Court में ले जाने का फैसला किया।

सरकार ने Supreme Court से गुहार लगाई कि राज्यपाल को 10 लंबित Bills को मंजूरी देकर अपने संवैधानिक दायित्व को पूरा करने का निर्देश दिया जाए।

SLP में कहा गया है कि इनमें से सात विधेयक पिछले साल सितंबर से राजभवन में लंबित हैं, जबकि अन्य तीन को विधानसभा का बजट सत्र (Budget Session) समाप्त होने के बाद 13 फरवरी को राज्यपाल के पास भेजा गया था।

याचिका में कहा गया विधेयकों को स्वीकृति न देने कोई कारण नहीं

याचिका में Supreme Court से Governor द्वारा देरी को अवैध, अनियमित और असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई।

SLP ने कहा, तेलंगाना सरकार (Government of Telangana) राज्यपाल द्वारा पैदा किए गए गतिरोध के कारण अदालत के समक्ष जाने के लिए विवश है। राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कई विधेयकों Governor के पास लंबित हैं।

याचिका में कहा गया विधेयकों को स्वीकृति न देने कोई कारण नहीं है। क्योंकि सभी विधेयक संवैधानिक जनादेश के अनुरूप हैं।

राज्य सरकार ने समशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले का उल्लेख किया

राज्य सरकार ने समशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले (Case of Samsher Singh Vs. State of Punjab) का उल्लेख किया, जहां शीर्ष अदालत ने कहा था कि संविधान में Governor को मंत्रिपरिषद की सलाह के खिलाफ जाने की अनुमति देकर एक समानांतर प्रशासन के प्रावधान की परिकल्पना नहीं की गई है।

इसने यह भी कहा कि अनुच्छेद 200 राज्यपाल को कोई स्वतंत्र विवेक प्रदान नहीं करता, जैसा कि संविधान सभा की चर्चा से स्पष्ट है।

राज्यपाल ने केवल GST विधेयक पर अपनी सहमति दी

राज्य सरकार (State Government) ने तर्क दिया कि यह मामला अभूतपूर्व महत्व रखता है और किसी भी तरह की देरी से बहुत अप्रिय स्थिति पैदा हो सकती है, अंतत: शासन (Government) को प्रभावित कर सकती है और परिणामस्वरूप आम जनता को भारी असुविधा हो सकती है।

राज्य विधानसभा ने 12 और 13 सितंबर को हुए सत्र के दौरान सात विधेयकों को पारित किया था। राज्यपाल ने केवल GST (संशोधन) विधेयक पर अपनी सहमति दी।

राजभवन के पास लंबित बिल के नाम

राजभवन के पास लंबित बिल हैं – आजमाबाद औद्योगिक क्षेत्र (पट्टे की समाप्ति और विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2022, तेलंगाना नगरपालिका कानून (Telangana Municipal Act) (संशोधन) विधेयक, 2022, तेलंगाना लोक रोजगार (सेवानिवृत्ति की आयु का विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2022, यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेस्ट्री तेलंगाना बिल (University of Forestry Telangana Bill), 2022, तेलंगाना यूनिवर्सिटी कॉमन रिक्रूटमेंट बोर्ड बिल, 2022, तेलंगाना मोटर वाहन कराधान (संशोधन) विधेयक, 2022, तेलंगाना राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2022, प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023, तेलंगाना पंचायत राज (संशोधन) विधेयक, 2023, और तेलंगाना नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2023।

नगरपालिका कानून विधेयक लंबित होने के कारण, सरकार पार्टी नेताओं द्वारा नागरिक निकायों के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने से चिंतित है।

सुंदरराजन ने BRS सरकार पर साधा निशाना

कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि राज्य सरकार तब तक कुछ नहीं कर सकती जब तक कि राज्यपाल उसे विधेयक वापस नहीं कर देते। यदि Bill लौटाए जाते हैं, तो राज्य सरकार के पास उन्हें अनुमोदन के लिए फिर से भेजने की शक्तियां होती हैं, जिसे राज्यपाल द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

सुंदरराजन ने टेलीविजन चैनलों (Television Channels) में बहस में भाग लेकर BRS सरकार को निशाना बनाकर विवाद खड़ा कर दिया और Twitter पर राज्य के मुख्य सचिव पर निशाना साधा।

शिष्टाचार भेंट के लिए भी कोई शिष्टाचार नहीं: राजन

सुंदर राजन ने Tweet किया, प्रिय तेलंगाना CS राजभवन दिल्ली (Raj Bhavan Delhi) की तुलना में वह अधिक निकट हैं। CS के रूप में पदभार संभालने के बाद आपको राजभवन जाने का समय नहीं मिला। कोई प्रोटोकॉल नहीं! शिष्टाचार भेंट के लिए भी कोई शिष्टाचार नहीं।

शांति कुमारी (Shanti Kumari) ने 11 जनवरी को मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण किया था और आधिकारिक रूप से राजभवन नहीं जाने पर Governor ने उनकी खिंचाई की थी।

हालांकि, बीआरएस नेताओं ने जवाबी हमला किया और राज्यपाल को याद दिलाया कि मुख्य सचिव ने पद संभालने के बाद दो बार राजभवन का दौरा किया।

S. प्रशांत रेड्डी ने राज्यपाल से मुलाकात की

राज्य सरकार ने Governor के इस तर्क का भी खंडन किया कि उसने विधेयकों पर उनके संदेह को स्पष्ट नहीं किया। इसने Supreme Court को सूचित किया कि शिक्षा मंत्री P. सबिता इंद्रा रेड्डी ने 10 नवंबर, 2022 को Governor से मुलाकात की थी और राज्यपाल को विधेयकों को पेश करने की आवश्यकता से अवगत कराया गया था और तात्कालिकता के बारे में बताया गया था।

30 जनवरी को, विधायी मामलों के मंत्री S. प्रशांत रेड्डी ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और विधेयकों को स्वीकृति देने पर विचार करने का अनुरोध किया था क्योंकि देरी विधेयकों के मूल उद्देश्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।

पिछले साल नवंबर में, राज्यपाल ने BRS द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था कि उनका कार्यालय राज्य सरकार द्वारा उनकी सहमति के लिए भेजे गए कुछ Bills पर बैठा हुआ है। उन्होंने कहा था कि वह अपनी सहमति देने से पहले विधेयकों का आकलन और विश्लेषण करने में समय ले रही हैं।

BRS अब सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद कर रही

BRS अब सुप्रीम कोर्ट से राहत की उम्मीद कर रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों (Political Observers) का कहना है कि सत्तारूढ़ दल लंबित बिलों को मंजूरी देने में देरी से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर सकता है।

सत्ता पक्ष के नेता राज्यपाल पर भाजपा नेता की तरह काम करने को लेकर निशाना साध रहे हैं। BRS राज्यपाल के कार्यों को केंद्र की BJP सरकार द्वारा तेलंगाना (Telangana) के विकास के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने के प्रयासों के रूप में देखता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, BRS द्वारा इस साल के अंत में होने वाले चुनावों से पहले इस मुद्दे को जनता के सामने ले जाकर राजनीतिक रूप से भुनाने की संभावना है।

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