Chhath Puja: झारखंड में सूर्य उपासना का महापर्व छठ की धूम शुरू होने वाली है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार को नहाय-खाय के साथ कद्दू भात प्रसाद से होगी।
इसके बाद 26 अक्टूबर, रविवार को शाम में खरना पूजन किया जाएगा। खरना के बाद व्रतधारियों द्वारा खीर और रोटी (पूरी) ग्रहण करने पर करीब 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा, जो कार्तिक छठ के समापन तक चलेगा।
27 अक्टूबर, सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि 28 अक्टूबर, मंगलवार को प्रात:काल उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य देकर पर्व का पारण-समापन होगा। छठ महापर्व में नियम, निष्ठा, विधि-विधान के साथ-साथ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
त्योहार से पहले ही व्रतधारी महिलाएं गेहूं और अरवा चावल को अच्छी तरह धोकर साफ करती हैं और घर के आंगन व छत पर धूप में सुखाती हैं।
छठ घाटों पर जोरदार तैयारी
रांची के प्रमुख छठ घाटों जैसे बूढ़ा तालाब, बटन तालाब, हटिया तालाब, जोड़ा तालाब, करमटोली तालाब, अरगोड़ा तालाब, धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर तालाब, धुर्वा डैम, गेतलसूद डैम, कांके डैम, तिरिल आदि जलाशयों की सफाई का काम अंतिम चरण में पहुंच चुका है। प्रशासन और रांची नगर निगम की टीमें घाटों के निर्माण, पर्याप्त रोशनी व्यवस्था तथा अन्य सुविधाओं को बहाल करने में जुटी हैं। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों का भी सहयोग मिल रहा है, ताकि भक्तों को कोई असुविधा न हो।
क्यों मनाते हैं छठ महापर्व?
आचार्य कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि छठ पर्व सृष्टि के सबसे बड़े ऊर्जा स्रोत भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। छठी मइया को सूर्य देव की बहन माना जाता है। मान्यता है कि नवजात शिशु के जन्म के छह माह तक छठी मइया उसकी रक्षा करती हैं।
धर्मग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने माता सीता के साथ वनवास समाप्ति और रावण वध के बाद सूर्य देव को प्रसन्न करने हेतु छठ व्रत किया था।यह महापर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक एकता को भी मजबूत करता है।
लाखों व्रतधारी इस बार सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।