Sawan festival 2025: भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह सावन 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है, जो 9 अगस्त को रक्षाबंधन और स्नान-दान की पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।
इस बार सावन में गुरु आदित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और शिव योग जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं, जो शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी होंगे। सावन में चार सोमवार (14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त) पड़ रहे हैं, जो भगवान शिव की पूजा-आराधना के लिए बेहद खास माने जाते हैं।
पंडित मनोज पांडेय ने मंगलवार को बताया कि सावन 11 जुलाई को श्रावण कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होगा, जो आषाढ़ पूर्णिमा (10 जुलाई) के बाद आएगा।
इस माह में भगवान शिव का अभिषेक और पूजन विशेष महत्व रखता है। “सावन में चार सोमवारों का संयोग दुर्लभ है। इन दिनों शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल और गन्ना रस से अभिषेक करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं,” उन्होंने कहा।
सावन के प्रमुख व्रत और त्योहार
- हरियाली अमावस्या (26 जुलाई): प्रकृति और पितरों की पूजा का दिन।
- हरियाली तीज (29 जुलाई): सुहागिनों का पर्व, जिसमें माता पार्वती की आराधना की जाती है।
- नाग पंचमी (31 जुलाई): नाग देवता की पूजा का विशेष दिन।
- कामिका एकादशी (18 जुलाई): भगवान विष्णु और शिव की कृपा के लिए व्रत।
- सावन पुत्रदा एकादशी (1 अगस्त): संतान प्राप्ति और सुख के लिए महत्वपूर्ण।
- रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा (9 अगस्त): भाई-बहन के प्रेम और स्नान-दान का पर्व, आयुष्मान और सौभाग्य योग में।
शिव पूजन की विधिपंडित पांडेय के अनुसार, सावन में भगवान शिव का पूजन विशेष विधि से किया जाता है। शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, आक, कनेर और राई के फूल अर्पित किए जाते हैं।
भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल चढ़ाया जाता है। “ये सभी भगवान शिव को अति प्रिय हैं। सावन में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप और रुद्राभिषेक करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति मिलती है,” उन्होंने कहा।