Iran-Israel War: इजरायल और ईरान के बीच तनाव अब खुली जंग में तब्दील हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई से “बिना शर्त आत्मसमर्पण” की मांग की, जिसका जवाब खामेनेई ने X पर पोस्ट कर दिया।
उन्होंने लिखा, “महान हैदर के नाम पर, जंग शुरू हो गई है। हमें आतंकवादी यहूदी शासन को कड़ा जवाब देना होगा। हम उस पर कोई दया नहीं दिखाएंगे।”
ट्रंप ने इससे पहले Truth Social पर लिखा, “हमें पता है कि ‘सुप्रीम लीडर’ कहां छिपा है। वह आसान निशाना है, लेकिन हम उसे अभी नहीं मारेंगे। हमारा धैर्य जवाब दे रहा है।” 13 जून को इजरायल ने ईरान पर हमले शुरू किए, यह दावा करते हुए कि ईरान परमाणु हथियार बनाने के करीब है।
इस हमले में ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें कई वरिष्ठ सैन्य कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए। ईरान ने जवाब में तेल अवीव और यरुशलम पर मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिससे दोनों ओर सैकड़ों लोग मारे गए।
इजरायल-ईरान तनाव का इतिहास
इजरायल और ईरान के बीच तनाव की जड़ें दशकों पुरानी हैं, जो परमाणु कार्यक्रम, क्षेत्रीय प्रभाव और वैचारिक मतभेदों से जुड़ी हैं।
1953: अमेरिका ने ईरान के प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेग को सत्ता से हटाने में भूमिका निभाई, जिसके बाद शाह मोहम्मद रजा पहलवी सत्ता में आए।
1957-1967: अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु सहयोग समझौता हुआ। ईरान को न्यूक्लियर रिएक्टर और यूरेनियम ईंधन मिला, लेकिन सैन्य परमाणु कार्यक्रम पर रोक थी।
1979: ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद शाह को देश छोड़ना पड़ा। नए इस्लामिक शासन ने इजरायल को दुश्मन घोषित किया। तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर 444 दिन तक कब्जा रहा।
1980: अमेरिका ने ईरान से कूटनीतिक और व्यापारिक संबंध तोड़ लिए।
1995: रूस ने ईरान के बुशहर परमाणु संयंत्र को पूरा करने का वादा किया।
2002: पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र का खुलासा किया।
2003-2006: यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ परमाणु वार्ता शुरू की, लेकिन ईरान ने 2006 में यूरेनियम संवर्धन फिर शुरू किया।
2010: स्टक्सनेट वायरस ने ईरान के सेंट्रीफ्यूज को नष्ट किया, जिसके पीछे अमेरिका और इजरायल का हाथ माना गया।
2012-2022: ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों की हत्याएं और नतांज जैसे संयंत्रों पर हमले हुए, जिनके लिए ईरान ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराया।
2024: महसा अमिनी की मौत के बाद ईरान में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए। इजरायल और ईरान ने एक-दूसरे पर मिसाइल हमले किए।
2025: इजरायल के ताजा हमलों ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया। ईरान ने जवाबी हमलों में इजरायल के शहरों को निशाना बनाया।