Home विदेश इजरायल-ईरान तनाव के बीच ट्रंप-मुनीर की बंद कमरे में मुलाकात, शहबाज शरीफ को फिर किया नजरअंदाज

इजरायल-ईरान तनाव के बीच ट्रंप-मुनीर की बंद कमरे में मुलाकात, शहबाज शरीफ को फिर किया नजरअंदाज

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इजरायल-ईरान तनाव के बीच ट्रंप-मुनीर की बंद कमरे में मुलाकात, शहबाज शरीफ को फिर किया नजरअंदाज

Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को दरकिनार कर सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया। यह मुलाकात बुधवार को कैबिनेट रूम में बंद कमरे में हुई, जो पाकिस्तान में सेना के दबदबे और सरकार की औपचारिकता को दर्शाती है।

सिंधी फाउंडेशन का विरोध

सिंधी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक सूफी लघारी ने इस मुलाकात पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ट्रंप एक व्यवसायी हैं, जिनकी नजर पाकिस्तान के संसाधनों पर है।

उन्होंने चेतावनी दी कि जनरल मुनीर भारत का मुकाबला करने के लिए धन जुटाने में रुचि रखते हैं, और पाकिस्तान अमेरिका का स्वाभाविक सहयोगी नहीं है। लघारी ने कहा कि सिंधी और बलूच लोग अमेरिका के सच्चे सहयोगी हैं, जबकि पाकिस्तानी सेना पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए।

इजरायल-ईरान तनाव के बीच मुलाकात

यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है, और अमेरिका ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग कर रहा है।

जनरल मुनीर पांच दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं और इस दौरान विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से भी मिलने की संभावना है। द डॉन अखबार के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना है।

यात्रा से पहले विवाद

मुनीर की यात्रा से पहले विवाद भी हुआ। अमेरिका ने स्पष्ट किया कि यह दौरा 14 जून को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ से संबंधित नहीं है। शनिवार को वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर पीटीआई समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान में ‘अप्रतिबंधित लोकतंत्र’ की मांग की।

बंद कमरे में कूटनीतिक चर्चा

यह मुलाकात पाकिस्तान में जनरल मुनीर की छवि को और मजबूत करने वाली साबित हुई है। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने इसे अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में ‘सकारात्मक कदम’ करार दिया।

ट्रंप ने मुलाकात से पहले मीडिया से कहा, “जनरल मुनीर ने भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई।” हालांकि, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि मई में हुए युद्धविराम में अमेरिकी मध्यस्थता की कोई भूमिका नहीं थी।