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आचार संहिता उल्लंघन मामले में जवाब दे पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग, कलकत्ता हाई कोर्ट ने…

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कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम (Chief Justice T.S. Shivagananam) और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग (SEC) से राज्य सरकार द्वारा ‘सोरासोरी मुखोमोंत्री’ (सीधे मुख्यमंत्री) नामक एक जन संपर्क कार्यक्रम शुरू किए जाने के बाद आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन (Code of Conduct Violations) के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में सवाल किया है।

आचार संहिता उल्लंघन मामले में जवाब दे पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग, कलकत्ता हाई कोर्ट ने… West Bengal State Election Commission, Calcutta High Court to answer in case of violation of code of conduct

आम लोग अपनी शिकायतें सीधे पहुंचा सकते मुख्यमंत्री तक

इस कार्यक्रम के माध्यम से आम लोग अपनी शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकते हैं।

खंडपीठ ने आयोग से इस आरोप पर भी जवाब मांगा है कि इस कार्यक्रम के लिए उसी नंबर का उपयोग किया जा रहा है जिसका उपयोग 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections) से पहले शुरू किए गए इसी तरह के एक कार्यक्रम ‘दीदीके बोलो’ (मुख्यमंत्री को बताएं) के लिए गया था।

खंडपीठ पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उन्‍होंने आरोप लगाया है कि आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों (Rural body elections) के मद्देनजर वर्तमान में राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है।

मामले की दोबारा होगी सुनवाई

इस दौरान राज्य सरकार की ऐसी पहल स्पष्ट रूप से आचार संहिता का उल्लंघन है।

अधिकारी ने सवाल किया था कि ‘दीदी के बोलो’ एक राजनीतिक अभियान कार्यक्रम था। ऐसे में उसी नंबर का उपयोग ‘सोरासोरी मुखोमोंत्री’ के लिए कैसे किया जा सकता है जो एक प्रशासनिक पहल है।

खंडपीठ ने आयोग को गुरुवार को अदालती सत्र के दूसरे भाग में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसके बाद ही मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

अधिकारी ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया

अधिकारी ने मूल रूप से मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ में याचिका दायर की थी।

लेकिन न्यायमूर्ति सिन्हा ने उस याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और इसकी बजाय नेता प्रतिपक्ष को मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ के पास जाने की सलाह दी थी।

तदनुसार, बुधवार को अधिकारी ने खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।

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