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दावोस में शी के भाषण से महामारी काल में विश्व अर्थतंत्र को मिलेगा मार्गदर्शन

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बीजिंग: बेशक अभी-अभी समाप्त साल 2020 एक खास वर्ष था। इस दौरान विश्व बड़े परिवर्तन से गुजर रहा है, महामारी की वजह से वैश्विक भविष्य बहुत अस्पष्ट होने लगा।

संरक्षणवाद और एकपक्षवाद की वजह से दुनिया विभाजित होने लगी।

आखिरकार दुनिया को क्या हुआ? और हमें क्या करना चाहिए?

वास्तव में चार साल पहले दावोस में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इन सवालों का अपना जवाब पेश किया था।

17 जनवरी 2017 को दावोस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शी चिनफिंग ने विश्व आर्थिक मंच के 2017 वार्षिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में समान रूप से युगात्मक उत्तरदायित्व उठाएं, समान रूप से वैश्विक विकास को बढ़ावा दें शीर्षक भाषण दिया।

यह चीनी राष्ट्रपति की दावोस मंच में पहली बार भागीदारी थी।

शी चिनफिंग ने आर्थिक वैश्वीकरण को लेकर विश्व अर्थतंत्र के प्रति अपने विचार साझा किये।

उन्होंने कहा कि विश्व अर्थतंत्र में शामिल होना ऐतिहासिक दिशा है।

चीन का आर्थिक विकास साहस के साथ वैश्विक बाजार में भाग लेता है।

यदि चीन अर्थव्यवस्था को विकसित करना चाहता है, तो उसे विश्व बाजार के विशाल महासागर में तैरने की हिम्मत करनी चाहिए।

यदि आप कभी भी हवा और बारिश का अनुभव करने और दुनिया को देखने के लिए समुद्र में जाने की हिम्मत नहीं करते हैं, तो एक दिन आप समुद्र में डूब जाएंगे।

 इसलिए, चीन ने बहादुरी से विश्व बाजार की ओर कदम बढ़ाया।

इस प्रक्रिया में, हमने पानी पर चोक किया, लहरों का सामना किया। लेकिन हमने तैरना सीख लिया है।

यह सही रणनीतिक विकल्प है।

शी चिनफिंग ने बल देते हुए कहा कि मानव जाति भाग्य का एक साझा समुदाय बन चुका है, हमारे हित उच्च स्तरीय एकीकृत होते हैं और हम एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।

हमें अविचल रूप से खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था का विकास करना चाहिए, खुलेपन में ज्यादा अवसरों को साझा करना चाहिए, ताकि आपसी लाभ और उभय जीत प्राप्त कर सकें।

चार साल पहले दिए गए भाषण में शी चिनफिंग ने विभिन्न पक्षों से एशिया-प्रशांत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी संबंध संधि की प्रक्रिया में गति देने की अपील की, ताकि विश्व के उन्मुख मुक्त व्यापार नेटवर्क की स्थापना की जा सके।

बहुपक्षवाद और मुक्त व्यापार की रक्षा करने के क्षेत्र में चीन अपने वायदे का पालन करता है।

महामारी की गंभीर स्थिति में पड़ने के बावजूद 15 नवम्बर 2020 को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (आरसीईपी) पर 8 साल की बातचीत के बाद आखिरकार औपचारिक तौर पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र कहा जाता है।

गत दिसम्बर के अंत में, चीन-यूरोप निवेश समझौता वार्ता तय समय पर पूरी हुई।

2020 में, चीन ने खुलेपन की गति को तेज करना जारी रखा। गत वर्ष में, चीन की वस्तुओं और सेवाओं के आयात की वृद्धि दर वैश्विक औसत स्तर से काफी अधिक थी।

राष्ट्रव्यापी विदेशी निवेश पहुंच की नकारात्मक सूची को 40 से घटाकर 33 कर दिया गया था।

मुक्त व्यापार परीक्षण क्षेत्रों की संख्या 18 से बढ़कर 21 हो गई।

हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह की समग्र निर्माण योजना, शनचन शहर में सुधार और खोलने की विस्तार योजना का कार्यान्वयन और बेल्ट एंड रोड पहल के उच्च गुणवत्ता वाले सह-निर्माण में प्रगति मिली, इत्यादि।

कोविड-19 महामारी विभिन्न देशों के लिए बड़ी चुनौती है।

गत वर्ष चीन ने ठीक समय पर अंतरराष्ट्रीय आयात एक्सपो का आयोजन किया।

उस समय शी चिनफिंग ने कहा कि चाहे हमारे सामने जोखिम, आपदा, या प्रतिकूल धाराएं मौजूद हैं, मानव समाज हमेशा आगे बढ़ेगा और निश्चित रूप से आगे बढ़ने में सक्षम होगा। विभिन्न देशों के बीच खुलेपन और सहयोग करने की सामान्य प्रवृत्ति अपरिवर्तित होगी।

शी चिनफिंग का कहना है कि महामारी हमें याद दिलाती है कि सभी देश साझा नियति के समुदाय हैं, और कोई भी बड़े संकटों के सामने अकेले खड़ा नहीं हो सकता है।

चुनौतियों से निपटने के लिए एकता और सहयोग अपरिहार्य विकल्प है।

हमें उभय जीत वाले सहयोग की अवधारणा का पालन करना चाहिए।

संदेह के बजाय विश्वास करना चाहिए, टकराव के बजाय हाथ मिलाना चाहिए, मौखिक दुर्व्यवहार के बजाय बातचीत करनी चाहिए।

सभी देशों को समान हितों को प्रधानता देकर आर्थिक वैश्वीकरण को और अधिक खुली, समावेशी, आम उदार, संतुलित और उभय जीत की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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