Homeझारखंडझारखंड में यहां अवैध वसूली के कारण कोयला व्यवसाय करना हुआ मुश्किल

झारखंड में यहां अवैध वसूली के कारण कोयला व्यवसाय करना हुआ मुश्किल

Published on

spot_img
spot_img
spot_img

रांची: जहां एक ओर पुलिस महकमा कोयलांचल (Police Department Koylanchal) को नक्सल वसूली मुक्त बनाने के बड़े-बड़े वायदे कर रही है, वहीं हर दिन एक नए गिरोह का सामना कोयला व्यवसायियों (Coal Dealers) को करना पड़ रहा है।

लाखों-करोड़ों रुपया इस व्यवसाय में लगाने के बाद रंगदारी के नाम पर उनके द्वारा कोयला के उठाव को प्रभावित करने की धमकी देना आम बात हो गई है, जिससे इस व्यवसाय के प्रति कोयला व्यवासायियों का मनोबल टूटता जा रहा है।

कोल डंप से रुपये की अवैध उगाही (Illegal Extortion) कोई नयी बात नहीं है। विस्थापित व प्रभावितों के नाम पर वर्षों से खोले गये कोल डंप पर किस रूप में पैसों की वसूली की जा रही है, यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है।

इस बाबत न तो पुलिस महकमा अंजान है न ही सरकार। इस संदर्भ में यदि CCL के एनके, पिपरवार, मगध आम्रपाली क्षेत्र की बात करें तो वहाँ मुख्य रूप से मगध आम्रपाली, पिपरवार के अशोका, चिरैया टांड, एनके एरिया के पुरनाडीह, रोहिणी, केडीएच, चुरी में कोल डंप बनाकर संचालन समिति करोड़ों की अबैध उगाही कर रही है।

नक्सलियों के द्वारा ही पूरा सिस्टम हो रहा है कमेटी

सबसे पहले एक कमिटी रैयत विस्थापित प्रभावित के नाम से प्रारंभ किया जाता है और धीरे-धीरे इस कमिटी से नक्सलियों (Naxalites) को एक बड़ी हिस्सेदारी भी मिलने लगी है। इस क्षेत्र में तो नक्सलियों से जुड़े लोगों का वर्चस्व कायम हो गया है।

आज वस्तुस्थिति तो यही है कि टीपीसी संगठन से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों के हाथों में ही पूरा सिस्टम संचालित हो रहा है।

वर्तमान में इन तीनों एरिया से कई कंपनियों द्वारा हजारों टन कोयला का उठाव प्रतिदिन किया जा रहा है। वर्तमान में इन कोयला डंपों पर कोयला व्यवसायियों को प्रति टन 214 रुपये के हिसाब से भुगतान करना पड़ रहा है, वहीं टीपीसी संगठन से जुड़े लोगों द्वारा अपनी अलग दावेदारी पेश करते हुए 15 रुपये प्रति टन की मांग की जाती है। इन लोगों की पूर्व में भी कोल डंप (Coal Dump) में कमिटी में सहभागिता रही है।

वसूली में सीसीएल के अधिकारी का भी होता है हिस्सा

जानकारी के अनुसार वर्तमान में कोयला व्यवसायियों द्वारा जिस 214 रुपये प्रति टन का भुगतान किया जाता है, उसकी वसूली डंप कमिटी के लोगों द्वारा की जाती है, वहीं कोयला व्यवसायियों से CCLके अधिकारी का भी हिस्सा 32 रुपये प्रति टन लिया जाता है।

इसके अलावा स्थानीय प्रशासन (local administration) का भी हिस्सा बंधा हुआ है। आज स्थिति ऐसी है कि रैयत विस्थापित, प्रभावित से जुड़े लोगों के पास अबैध सपति है और जिन रैयतों की जगह जमीन में कोयला खदान खुला है, उन्हें सिर्फ ठेंगा मिलता है।

spot_img

Latest articles

झारखंड शराब घोटाला: गुजरात से एसीबी की बड़ी कार्रवाई, प्लेसमेंट एजेंसी का निदेशक गिरफ्तार

रांची: झारखंड में सामने आए शराब घोटाले के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी)...

नक्सल विरोधी रणनीति को और मजबूत करेगी झारखंड पुलिस, आईजी करेंगे रेंजवार समीक्षा बैठक

Ranchi : झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान और विधि-व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के...

मार्ग पर दर्दनाक हादसा, स्कूल प्रिंसिपल की मौत से मचा हड़कंप

रांची/ गुमला : रांची–गुमला मुख्य सड़क पर जुरा के पास शुक्रवार देर रात एक...

रांची को अतिक्रमण-मुक्त और स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम की दो अहम बैठकों में बड़े निर्देश

Important meetings of the Municipal Corporation: रांची नगर निगम में शुक्रवार को शहर की...

खबरें और भी हैं...

झारखंड शराब घोटाला: गुजरात से एसीबी की बड़ी कार्रवाई, प्लेसमेंट एजेंसी का निदेशक गिरफ्तार

रांची: झारखंड में सामने आए शराब घोटाले के मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी)...

नक्सल विरोधी रणनीति को और मजबूत करेगी झारखंड पुलिस, आईजी करेंगे रेंजवार समीक्षा बैठक

Ranchi : झारखंड में नक्सल विरोधी अभियान और विधि-व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के...

मार्ग पर दर्दनाक हादसा, स्कूल प्रिंसिपल की मौत से मचा हड़कंप

रांची/ गुमला : रांची–गुमला मुख्य सड़क पर जुरा के पास शुक्रवार देर रात एक...