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समन आदेश को चुनौती देने वाली अपील को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

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  • न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने खारिज की अपील
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया, सीआरपीसी की धारा 319 विवेकाधीन शक्ति की परिकल्पना
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को किया गया खारिज
  • यूपी के संत कबीर नगर में हुई मारपीट और दुर्व्यवहार से जुड़ा है मामला

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने शुक्रवार को कहा कि किसी अदालत को दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 319 के तहत महज इस आधार पर आरोपी को तलब करने के लिए यांत्रिक तरीके से काम नहीं करना चाहिए कि कुछ साक्ष्य रिकॉर्ड में सामने आए हैं।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Dutta) और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में समन आदेश को चुनौती देने वाले एक व्यक्ति द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, ‘‘किसी अदालत को केवल इस आधार पर यांत्रिक रूप से कार्य नहीं करना चाहिए कि जिस व्यक्ति को समन (Summons) किया जाना है, उसकी संलिप्तता को लेकर कुछ साक्ष्य सामने आए हैं।’’

शीर्ष अदालत ने कहा

शीर्ष अदालत ने कहा कि CRPC की धारा 319, जो विवेकाधीन शक्ति की परिकल्पना करती है, अदालत को किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार देती है, जिसे आरोपी के रूप में नहीं दिखाया गया है या उसका उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन सबूतों से प्रतीत होता है कि ऐसे व्यक्ति ने अपराध किया है।

शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के एक आदेश को चुनौती देने वाले जितेंद्र नाथ मिश्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अदालत ने बाद में अपीलकर्ता को धर्मेंद्र के साथ सुनवाई के लिए किया तलब

संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद थाना द्वारा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखा), 420 (धोखाधड़ी), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और 506 (आपराधिक धमकी) और अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति अधिनियम (SC/ST Act) की कुछ धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

शिकायत के अनुसार, मिश्रा, उनके भाई धर्मेंद्र और एक अज्ञात व्यक्ति ने शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी के साथ मारपीट की और दुर्व्यवहार किया।

विशेष अदालत ने अपराध का संज्ञान लिया और धर्मेंद्र के खिलाफ आरोप तय किए और मुकदमा शुरू हुआ। अदालत ने बाद में अपीलकर्ता को धर्मेंद्र के साथ सुनवाई के लिए तलब किया।

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