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मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह के सर्वेक्षण से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने यह याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति (Justice) एस.के. कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) का निपटारा कर दिया। अदालत ने मथुरा के सिविल जज (civil judge) को मुक़दमे के ख़िलाफ़ उठाई गई आपत्तियों पर निर्णय लेने से पहले विवादित स्थल के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देने से इनकार कर दिया।

पीठ ने आदेश दिया

पीठ ने आदेश दिया, “हमें लगता है कि हमें  (Article 136) के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं है, अंतरिम आदेश के लिए तो और भी नहीं…। अन्य SLP में पार्टियों के अधिकारों और विवादों पर कोई पूर्वाग्रह नहीं है। याचिका का निपटारा किया जाता है।” अदालत ने स्पष्ट किया कि विवाद से संबंधित सभी प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के लिए खुले रहेंगे।

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में मथुरा की विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे दायर किए गए थे, जिसमें एक आम दावा था कि ईदगाह परिसर उस भूमि पर बनाया गया था जिसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है और जहां एक मंदिर मौजूद था।

विरोधी पक्षों, अर्थात् मस्जिद की प्रबंधन समिति और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board)  ने इस आधार पर मुकदमे की स्थिरता के संबंध में अपनी आपत्तियां दर्ज की थीं कि मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित है, जिसमें यह प्रावधान है कि 15 अगस्‍त 1947 को मौजूद किसी भी पूजा स्थल की प्रकृति को बदला नहीं जा सकता।

सभी मामलों उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस साल मई में मथुरा की अदालत के समक्ष लंबित विवाद से संबंधित सभी मामलों को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। हिंदू श्रद्धालुओं ने अपनी ट्रांसफर याचिका में कहा कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मामला राष्ट्रीय महत्व रखता है और इसकी सुनवाई हाई कोर्ट(High Court) में होनी चाहिए।

उच्च न्यायालय द्वारा मामलों को क्लब करने और खुद को स्थानांतरित करने के इस फैसले के खिलाफ, शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति द्वारा दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के समक्ष लंबित है।

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