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शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई से हाई कोर्ट का इनकार

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High Court Refuses to hear Sharjeel Imam’s Bail Plea Soon: Delhi High Court ने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में भड़के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े एक मामले में बुधवार को छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका (Bail Petition) पर ‘जल्द सुनवाई’ से इनकार कर दिया।

इमाम ने दंगों की कथित बड़ी साजिश को लेकर गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अपने खिलाफ दर्ज मामले में जमानत मांगी है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि पहले से ही यह मामला सात अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए निर्धारित तारीख से पहले सुनवाई करने का अभी कोई आधार नहीं है।

इमाम, उमर खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर ‘मास्टरमाइंड’ होने के लिए यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।

इमाम के वकील ने खंडपीठ को बताया कि उनके मुवक्किल की जमानत याचिका खारिज करने को लेकर निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील 28 महीने से लंबित है और इस मामले को कई बार सूचीबद्ध किया जा चुका है, फिर भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है।

पीठ ने कहा कि हर दिन उसके समक्ष 80 से अधिक मामले सूचीबद्ध होते हैं और इमाम की अपील अन्य सह-आरोपियों की इसी तरह की अपीलों के साथ अगले महीने एक निश्चित तारीख को सूचीबद्ध की जा चुकी है।

अदालत ने कहा, ‘‘चूंकि अपील सात अक्टूबर को अपराह्न 3:15 बजे अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, इसलिए उस तारीख से पहले सुनवाई करने का कोई आधार नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है।’’

इमाम ने शीघ्र सुनवाई संबंधी अपनी अर्जी में कहा था कि 2022 में नोटिस जारी होने के बाद उनकी याचिका को उच्च न्यायालय (High Court) की सात अलग-अलग खंडपीठों के समक्ष कम से कम 62 बार सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

आवेदन में कहा गया था, ‘‘रोस्टर परिवर्तन, न्यायाधीशों के सुनवाई से खुद को अलग करने और न्यायाधीशों के स्थानांतरण के कारण पीठों की संरचना में लगातार बदलाव की वजह से मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और इस तरह हर बार सुनवाई का नया सिलसिला शुरू हो गया।’’

याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया था कि मौजूदा मामले में मुकदमा 2020 से विशेष अदालत के समक्ष लंबित है, लेकिन जांच अब भी जारी है और अभी तक आरोप तय नहीं किये गए हैं।

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