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दरभंगा कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अम्बर इमाम हाशमी की गिरफ्तारी, 1994 हत्या मामले में हड़कंप

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Darbhanga News: शुक्रवार को दरभंगा व्यवहार न्यायालय में उस समय हड़कंप मच गया, जब जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश (ADJ-III) सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर और कांग्रेस नेता अम्बर इमाम हाशमी को 1994 के हत्या मामले में कोर्ट परिसर से गिरफ्तार कर जेल भेजने का आदेश दिया। इस कार्रवाई ने अधिवक्ता समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया, जिसे उन्होंने दरभंगा न्यायालय के इतिहास में ‘काला दिन’ करार दिया।

क्या है मामला?

यह मामला 1994 का है, जब हनुमाननगर थाना क्षेत्र के पटोरी बसंत गांव में हिंसक झड़प में दर्जनों राउंड फायरिंग हुई थी। इस घटना में रामकृपाल चौधरी की मौके पर मौत हो गई थी और छह लोग घायल हुए थे। विशनपुर थाने में कांड संख्या 58/1994 दर्ज किया गया था, जिसमें अम्बर इमाम हाशमी और उनके दो भाइयों पर हत्या और हिंसा के गंभीर आरोप लगे थे।

कोर्ट में क्या हुआ?

हाशमी को इस मामले में कोर्ट में पेश होना था, लेकिन उन्होंने फॉर्म 317 भरकर दावा किया कि वे जिले से बाहर हैं। कुछ ही देर बाद, वे उसी ADJ-III कोर्ट में एक अन्य मामले की बहस के लिए पहुंच गए। जज सुमन कुमार दिवाकर ने उनकी उपस्थिति पर सवाल उठाया, और संतोषजनक जवाब न मिलने पर तत्काल न्यायिक हिरासत में लेने का आदेश दिया। उनके सहयोगी अधिवक्ता सुशील कुमार चौधरी को भी हिरासत में लिया गया, लेकिन उन्हें लहेरियासराय थाने से रिहा कर दिया गया।

हाशमी को बिना शर्त रिहा करने की मांग

हाशमी की गिरफ्तारी के बाद दरभंगा कोर्ट में वकीलों ने जोरदार प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। उन्होंने मांग की कि हाशमी को बिना शर्त रिहा किया जाए, अन्यथा वे न्यायिक कार्यों से हट जाएंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव रंजन ठाकुर ने इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को जमानत का अधिकार है, और कोर्ट ने बिना ठोस कारण के मनमानी की। उन्होंने इसे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया।

वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ऐसा व्यवहार, तो क्या होगा आम जनता का हाल?

RJD नेता गोविंद यादव ने X पर लिखा, “वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा?” कांग्रेस समर्थक शादाब ने इसे “बर्बरतापूर्ण” कार्रवाई बताते हुए निंदा की। स्थानीय कांग्रेस नेताओं और वकीलों ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया, क्योंकि हाशमी एक प्रमुख कांग्रेस नेता हैं।

यह मामला 32 साल है पुराना

यह मामला 32 साल पुराना है, और इतने लंबे समय बाद गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े किए हैं। हाशमी ने कोर्ट में झूठी जानकारी दी, जिसके आधार पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई। हालांकि, वकीलों का दावा है कि इस तरह की कार्रवाई असामान्य है और जमानत की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। यह भी संदेह है कि राजनीतिक दबाव के कारण यह कार्रवाई हुई हो, क्योंकि हाशमी का कांग्रेस से जुड़ाव और स्थानीय प्रभाव है।

भाइयों के खिलाफ पहले से चार्जशीट है दाखिल

1994 के इस हत्या मामले में हाशमी और उनके भाइयों के खिलाफ पहले से ही चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। कोर्ट ने उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाया। हालांकि, जमानत के अधिकार और कोर्ट की प्रक्रिया को लेकर अधिवक्ताओं का विरोध इस मामले को विवादास्पद बना रहा है।

हाशमी की जमानत याचिका पर होगी जल्द सुनवाई

हाशमी की जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है। वकीलों ने कोर्ट के खिलाफ प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है। इस मामले में बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। पुलिस और कोर्ट के दस्तावेजों की गहन जांच से ही इस मामले की सच्चाई सामने आ सकती है।

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