Jharkhand News: झारखंड की कृषि और सहकारिता मंत्री (Agriculture and Cooperation Minister) शिल्पी नेहा तिर्की ने सोमवार, 30 जून 2025 को दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (International Cooperative Year) के राष्ट्रीय मंथन कार्यक्रम ‘सहकार से समृद्धि’ में राज्य की सहकारिता चुनौतियों को मजबूती से उठाया।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री (Union Home and Cooperation Minister) अमित शाह की उपस्थिति में उन्होंने कहा कि झारखंड सहकारिता क्षेत्र (Cooperative Sector) में पिछड़ा है और इसे विशेष नीति (Special Policy) और आर्थिक सहयोग (Financial Support) की जरूरत है।
MOCS को मजबूत करने, गोदाम निर्माण की मांग
मंत्री ने बताया कि झारखंड में 4,400 मल्टी-पर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटीज (MPCS) कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर हैं। राज्य सरकार ने इन्हें चार श्रेणियों में बांटकर 28 करोड़ रुपये वर्किंग कैपिटल (Working Capital) के रूप में दिए हैं। उन्होंने केंद्र से चयनित एमपीसीएस को वित्तीय सहायता (Financial Assistance) देने की मांग की।
गोदाम निर्माण (Warehouse Construction) पर बोलते हुए तिर्की ने कहा कि झारखंड में भंडारण क्षमता (Storage Capacity) में 57% की कमी है। पैक्स (PACS) के पास 10% अंशदान की भी सामर्थ्य नहीं है, इसलिए केंद्र को 100% अनुदान (Full Subsidy) देकर गोदाम बनवाने चाहिए।
धान की MSP, नाफेड सेंटर और SC-ST प्रतिनिधित्व की मांग
मंत्री ने धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price, MSP) को वैधानिक दर्जा देने, फुद्दी सेंटर को एनसीसीटी ट्रेनिंग सेंटर (NCCT Training Centre) के रूप में विकसित करने, और झारखंड में नाफेड का क्षेत्रीय केंद्र (NAFED Regional Centre) स्थापित करने की मांग की।
उन्होंने नई सहकारी समितियों (Cooperative Societies) में SC-ST समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व और आरक्षण (Reservation) के साथ विशेष योजनाओं की भी वकालत की।
अमित शाह का आश्वासन, नीतिगत बदलाव का भरोसा
मुख्य अतिथि अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि सहकारिता आंदोलन (Cooperative Movement) को सशक्त बनाने के लिए राज्यों की जरूरतों पर गंभीरता से विचार होगा और जरूरत पड़ने पर नीतिगत बदलाव (Policy Reforms) किए जाएंगे।
कार्यक्रम में देशभर के सहकारिता मंत्री, अधिकारी, विशेषज्ञ, और सहकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह आयोजन सहकारिता क्षेत्र में झारखंड जैसे राज्यों की चुनौतियों को राष्ट्रीय मंच पर लाने का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।


