IAS officer’s wife’s Instagram video goes viral : सोशल मीडिया पर इन दिनों @hello_chandrikaa नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट (Instagram Account) से एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
इस वीडियो में खुद को एक IAS अधिकारी की पत्नी बताते हुए एक महिला ने खुलकर अपनी ज़िंदगी की सच्चाई साझा की है: वो बातें जो अक्सर लोग सोचते हैं, लेकिन पूछने की हिम्मत नहीं करते।
लोगों की राय, “लग्जरी लाइफ” की उम्मीद, लेकिन सच में है इंतज़ार और अकेलापन
वीडियो में IAS अधिकारी की पत्नी बताती हैं कि लोग अक्सर उनसे कहते हैं कि “आप तो बहुत लकी हैं सर हमेशा आपके साथ होंगे, मज़ेदार लाइफ होगी।”
लेकिन उनका कहना है कि असलियत में ऐसा नहीं है। पति अधिकारी होते हैं जिनकी ज़िंदगी व्यस्तता, फोन, ड्यूटी और जिम्मेदारियों में बीतती है। पत्नी को अकेले टाइम बिताना पड़ता है, खाना अकेले खाना होता है, और हर दिन इंतज़ार करना होता है कि “सर” कब घर लौटेंगे।
उनका कहना है कि घर एक तरह से उस ऑफिस की Visiting Place बन जाती है, जहां पति ज्यादा नहीं आते और जब आते भी हैं, तो दिमाग और मन दफ्तर में ही होते हैं।
चमक-दमक के पीछे की चुनौतियां पारिवारिक दूरी
इस वीडियो में साफ झलकता है कि IAS अधिकारी की पत्नी का जीवन सिर्फ लग्जरी नहीं, बल्कि कई बार चुनौती भरा होता है। व्यस्त शेड्यूल, काम के लंबे समय, सरकारी दफ्तरों के फोन कॉल्स, सामाजिक अपेक्षाओं और परिवार की ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखना पड़ता है।
ये वो सच्चाईयाँ हैं, जिन्हें बाहर से देखकर अक्सर “आराम, पैसे और असहायता” समझा जाता है, लेकिन हकीकत होती है अकेलापन, उम्मीदें, इंतज़ार और समझौते।
सोशल मीडिया में मिली जबर्दस्त प्रतिक्रिया, बदलने लगी सोच
जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, कमेंट सेक्शन में लोगों ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। कुछ ने लिखा कि “मैम ने तो असलियत खोल दी”। कई लोग बोले कि वे तो समझते थे कि IAS-फैमिली की ज़िंदगी सिर्फ मौज-मस्ती है।
कुछ मजाकिया अंदाज़ में बोले कि “ये सुनकर मैं IAS बनने का प्लान ही बदल दूँ।” इस तरह, वीडियो ने बहुतों की धारणा बदल दी और दिखा दिया कि चमक-दमक की ज़िंदगी भी अक्सर इमोशन, संघर्ष और अंदरूनी कड़वाहट लिए होती है।
क्यों जरूरी है ऐसी बातें सुनना?
यह Viral Video सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि समाज के लिए एक संकेत है कि जब हम किसी की “पदवी” या “स्टेटस” देखते हैं, तो उसके पीछे उनकी असली ज़िंदगी, उनकी चुनौतियाँ और उनकी भावनाएँ भी होती हैं।
ऐसी बातें सुनना और समझना इसलिए ज़रूरी है, ताकि लोग यह जान सकें कि हर चमकती ज़िंदगी उतनी आसान नहीं होती और सहानुभूति, समझ, और संवेदनशीलता की ज़रूरत होती है।




