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ममता की कमजोर कड़ी पर है भाजपा की निगाहें

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के चुनावी जंग में उत्तर बंगाल सबसे महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। इस क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस को सबसे कमजोर माना जाता है, जबकि भाजपा ने बीते लोकसभा चुनाव में यहां पर बड़ी सफलता हासिल की थी।

आठ जिलों में फैली इस क्षेत्र की 54 विधानसभा सीटों में तृणमूल कांग्रेस बीते दो विधानसभा चुनाव में अपेक्षित रूप से कमजोर रही है।

हालांकि, इस बार उसने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के विमल गुरुंग से हाथ मिलाकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है।

उत्तर बंगाल के जरिए भाजपा अपने मिशन को हासिल करना चाहती है और ममता बनर्जी की इस कमजोर कड़ी पर और ज्यादा प्रहार कर अपने लिए बड़ी सफलता हासिल करना चाहती है।

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र की आठ लोकसभा सीटों में से सात सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी।

यानी तृणमूल कांग्रेस को कोई सफलता नहीं मिली थी। इतना ही नहीं बीते 2016 के विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस यहां पर 54 में से 26 विधानसभा सीटें ही जीत पाई थी, जबकि 2011 के विधानसभा चुनाव में उसे महज 16 सीटें ही हासिल हुई थी।

पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को दार्जिलिंग, कालिमपोंग और मालदा जिलों में एक भी सीट नहीं मिली थी।

 इन जिलों में 18 विधानसभा सीटें हैं। हालांकि जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और कूंचबिहार जिले की 21 में से 20 सीटें उसने जीती थी। एक सीट भाजपा के खाते में गई थी।

उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर जिले की 15 विधानसभा सीटों में से तृणमूल कांग्रेस को छह, कांग्रेस को चार, सीपीएम को दो, फॉरवर्ड ब्लॉक को एक और आरएसपी को 2 सीटें मिली थी।

उत्तर बंगाल की 54 सीटों में से 14 पर कांग्रेस जीती थी। हालांकि इस बार ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल को साधने के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरंग से हाथ मिलाया है।

गुरंग पहले भाजपा के साथ थे, लेकिन उन पर तृणमूल कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इतने मामले दर्ज कर दिए गए थे कि उनको भूमिगत होना पड़ा था।

भाजपा का कहना है कि गुरंग सिर्फ अपने ऊपर लगाए गए मामलों के चलते ममता बनर्जी के साथ गए हैं।

इस क्षेत्र में कांग्रेस और वामपंथी दल भी मजबूत हैं और वह इस बार ज्यादा ताकत से चुनाव लड़ रहे हैं।

ममता बनर्जी द्वारा भी इस क्षेत्र में इस बार से ज्यादा ध्यान दिए जाने के कारण मुकाबला त्रिकोणीय होगा और भाजपा की उम्मीद इसी पर टिकी है। भाजपा विरोधी वोटों का जितना विभाजन होगा भाजपा की सीटें उतनी बढ़ेगी।

वैसे भी लोकसभा चुनाव में आठ में से 7 सीटें जीतने के कारण भाजपा के हौसले बुलंद हैं और उसके नेता इस क्षेत्र से ज्यादा से ज्यादा सीटों को जीतने के दावे कर रहे हैं।

उत्तर बंगाल की सीटों के आंकड़े भावी सरकार के गणित को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं।

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