झारखंड

झारखंड में राजनेताओं की बेटियां राजनीतिक विरासत संभालने में अन्य राज्यों से आगे, आप भी जानिए…

अक्सर देखा जाता है कि राजनेताओं की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे ही संभालते हैं लेकिन झारखंड में नया ट्रेंड (New Trend) देखने को मिल रहा है।

Women in Politics: अक्सर देखा जाता है कि राजनेताओं की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे ही संभालते हैं लेकिन झारखंड में नया ट्रेंड (New Trend) देखने को मिल रहा है।

यहां राजनेताओं की बेटियां और पत्नियां उनकी राजनीतिक विरासत (Political Legacy) को संभाल रही हैं।

इनमें कल्पना सोरेन, अनुपमा सिंह, अन्नपूर्णा देवी, सीता सोरेन, जोबा मांझी, गीता कोड़ा, निर्मला देवी, अंबा प्रसाद, शिल्पी नेहा तिर्की और यशस्विनी सहाय जैसे नाम प्रमुख हैं। ये पिता या पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की लड़ाई लड़ रही हैं।

इसकी शुरूआत Barkagaon की विधायक अंबा प्रसाद के साथ हुई। पिता योगेंद्र साव के जेल जाने के बाद बेटी अंबा प्रसाद ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। शिल्पी नेहा र्तिकी (Shilpi Neha Ritki) भी पिता बंधु तिर्की की राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं।

इस कड़ी में यशस्विनी सहाय का नाम भी आता है जो पिता Subodhkant Sahay की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए चुनावी मैदान में हैं। यह अलग बात है कि बेटियों के चुनावी मैदान में कूदने के कई कारण और परिस्थितियां बनीं।

योगेंद्र साव के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी निर्मला देवी बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ीं। जनता ने निर्मला देवी का साथ दिया और वह विधायक बनीं लेकिन कई आपराधिक मामलों में फंसने की वजह से निर्मला देवी को भी जेल जाना पड़ा।

ऐसे में उनकी बेटी अंबा प्रसाद को 2019 के विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाना पड़ा। अंबा चुनाव जीत कर परिवार की राजनीतिक विरासत को बचाने में सफल रहीं।

इसी तरह बंधु तिर्की को कोर्ट से सजा मिलने के बाद विधानसभा की सदस्यता खत्म हो गई। उन्होंने राजनीतिक विरासत बचाने के लिए बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को मांडर विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव में खड़ा कर दिया। शिल्पी भी चुनाव जीत गईं।

इस बार झारखंड से लोकसभा चुनाव लड़ने में पत्नियां भी पीछे नहीं हैं। दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी और JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को परिवार में सम्मान नहीं मिला तो BJP में शामिल हो गई। भाजपा ने दुमका से सीता सोरेन को उतारा है। कांग्रेस ने विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को धनबाद से टिकट दिया है।

इधर, पूर्व मुख्यमंत्री Hemant Soren की पत्नी कल्पना सोरेन पहले ही पार्टी कमान संभाल चुकी हैं। वे गांडेय विधानसभा सीट पर उप चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को भाजपा ने सिंहभूम से प्रत्याशी बनाया है। इनके अलावा अन्नपूर्णा देवी और जोबा मांझी समेत कई अन्य महिलाएं भी राजनीति में पति की राजनीतिक विरासत संभाल रही हैं।

कल्पना सोरेन ने गांडेय से राजनीतिक जीवन की शुरूआत की

झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक परिवारों में से एक सोरेन परिवार में शादी के 18 वर्ष गुजारने के बाद कल्पना सोरेन की गांडेय से राजनीति में एंट्री हुई। वह गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव में JMM की प्रत्याशी हैं। कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री पति Hemant Soren की गिरफ्तारी के बाद हुई थी।

वह इंडी गठबंधन की मुंबई, दिल्ली व रांची में रैली में पार्टी की तरफ से सक्रिय भूमिका निभा चुकी हैं। हेमंत सोरेन के बाद वह पार्टी की सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं, जिससे पार्टी कार्यकर्ता को ऊर्जा मिलती है। पार्टी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम में वह गिरीडीह में मौजूद थीं।

अनुपमा सिंह ने धनबाद से की राजनीतिक जीवन की शुरूआत

झारखंड के दिग्गज राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखने वाली अनुपमा सिंह धनबाद से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में राजनीतिक जीवन की शुरुआत कर रही हैं।

इसी साल जनवरी में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर झारखंड में थे, तो विधायक पति जयमंगल सिंह के हैदराबाद प्रवास के दौरान उनकी पत्नी अनुपमा सिंह ने न्याय यात्रा को सफल बनाने के लिए मोर्चा संभाल लिया था।

राहुल गांधी धनबाद और बोकारो के जिस रास्ते से गुजरे अनुपमा सिंह पूरे रास्ते उनके साथ रहीं। इसी समय से उनके चुनाव लड़ने की अटकलें शुरू हो गईं। अनुपमा सिंह के पति तो कांग्रेस के विधायक हैं ही। उनके दिवंगत ससुर राजेंद्र सिंह बिहार और झारखंड के बड़े मजदूर नेता रहे हैं। वो बेरमो सीट से छह बार विधायक रहे। दोनों राज्यों की सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी रहे। बहरहाल, अब यह देखना दिलचस्प होगा की राज्य की जनता किस-किस की राजनीतिक विरासत पर मुहर लगाती है।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker