85% of Flights Were Delayed : दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर रविवार को घने कोहरे के कारण विमान परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट पर प्रस्थान करने वाली करीब 85 प्रतिशत उड़ानें देरी से चलीं, जबकि आगमन की लगभग एक तिहाई उड़ानें भी विलंबित रहीं। हालांकि राहत की बात यह रही कि किसी भी उड़ान को रद्द नहीं किया गया।
सुबह 5 से 10 बजे के बीच बढ़ी परेशानी
मौसम विभाग ने पहले ही 14 दिसंबर की सुबह मध्यम से घने कोहरे की चेतावनी जारी की थी। इसी के चलते एयरपोर्ट प्रशासन ने लो विजिबिलिटी प्रोसीजर्स (LVP) लागू कर दिए थे।
रविवार तड़के रनवे पर दृश्यता काफी कम हो गई और न्यूनतम दृश्यता 350 से 400 मीटर तक दर्ज की गई। सबसे ज्यादा असर सुबह 5 बजे से 10 बजे के बीच देखने को मिला, जब उड़ानों का परिचालन धीमा हो गया।
प्रस्थान उड़ानों में ज्यादा देरी
आंकड़ों के अनुसार, प्रस्थान की विलंबित उड़ानों में औसतन करीब 30 मिनट की देरी हुई, जबकि आगमन की उड़ानों में औसतन 5 मिनट का विलंब दर्ज किया गया। नॉन कैट-III उड़ानें सबसे ज्यादा प्रभावित रहीं।
इन उड़ानों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी, जिससे आधे घंटे तक की देरी हुई। एक बार शेड्यूल बिगड़ने के बाद इसका असर पूरे दिन की उड़ानों पर पड़ता रहा।
कैट-III सुविधा से मिली राहत
इंडिगो और एयर इंडिया जैसी प्रमुख एयरलाइंस की कैट-III सुविधा वाली उड़ानें कम दृश्यता के बावजूद अपेक्षाकृत सुचारु रूप से लैंड और टेकऑफ करती रहीं। दोपहर बाद दृश्यता बढ़कर 1300 से 1700 मीटर तक पहुंच गई, जिससे हालात कुछ समय के लिए बेहतर हुए।
तकनीक से संभाला गया संचालन
एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रेडिक्टिव सिस्टम और रियल-टाइम डेटा की मदद से परिचालन को बेहतर तरीके से संभाला गया। विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट के डेटा का उपयोग कर कोहरे की लगभग 85 प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी की गई, जिससे प्रभाव को कम रखने में मदद मिली।
तमाम सुविधाओं के बावजूद असर क्यों?
आईजीआई एयरपोर्ट के तीनों मुख्य रनवे अब कैट-III इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) से लैस हैं, जो 50 मीटर तक की दृश्यता में भी सुरक्षित लैंडिंग की अनुमति देते हैं। इसके बावजूद सभी उड़ानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता।
इसके लिए जरूरी है कि पायलट कैट-III में प्रशिक्षित हो और विमान में आवश्यक तकनीकी उपकरण मौजूद हों। यदि इनमें से किसी एक की कमी हो, तो उड़ान प्रभावित हो जाती है।
इसके अलावा, लो विजिबिलिटी प्रोटोकॉल (Low Visibility Protocol) से सुरक्षा तो बढ़ती है, लेकिन विमानों की आवाजाही की रफ्तार धीमी हो जाती है। यही कारण है कि आधुनिक सुविधाओं के बावजूद कोहरे के दिनों में उड़ानों पर असर पड़ता है।




