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DGP अनुराग गुप्ता की नियुक्ति और नई नियमावली पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार और UPSC से मांगा जवाब

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DGP Appointment Rules Challenge in HC:  झारखंड हाई कोर्ट में सोमवार को DGP अनुराग गुप्ता की नियुक्ति और झारखंड सरकार की नई DGP नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, UPSC, DGP और केंद्रीय गृह मंत्रालय को जवाब दाखिल करने के लिए एक और मौका दिया। सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से जवाब दाखिल नहीं हो सका। अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।

याचिका में क्या है आरोप?

भाजपा नेता और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने याचिका दायर कर अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताया है। उनके अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने कोर्ट को बताया कि 25 जुलाई 2024 को अनुराग गुप्ता को एक्टिंग DGP बनाया गया, जो सुप्रीम कोर्ट के 3 जुलाई 2018 के आदेश का उल्लंघन है।

इस आदेश में साफ कहा गया था कि राज्यों को एक्टिंग DGP की नियुक्ति नहीं करनी चाहिए। इसके बावजूद, विधानसभा चुनाव के बाद 28 नवंबर 2024 को तत्कालीन DGP अजय कुमार सिंह को हटाकर गुप्ता को एक्टिंग डीजीपी नियुक्त किया गया।

याचिका में यह भी कहा गया कि 8 जनवरी 2025 को झारखंड सरकार ने नई DGP नियुक्ति नियमावली बनाई, जिसमें UPSC की भूमिका को हटा दिया गया।

यह नियमावली सुप्रीम कोर्ट के 2006 के प्रकाश सिंह मामले के फैसले का उल्लंघन है, जिसमें DGP की नियुक्ति UPSC द्वारा अनुशंसित तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के पैनल से करने का निर्देश है।

याचिका के अनुसार, नई नियमावली के तहत गठित नामांकन समिति ने अनुराग गुप्ता के नाम पर मुहर लगाई, जिसके बाद उन्हें 2 फरवरी 2025 को स्थायी DGP बनाया गया।

केंद्र और राज्य में तनातनी

केंद्र सरकार ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कहा है कि 30 अप्रैल 2025 को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनकी सेवा अवधि का विस्तार ऑल इंडिया सर्विसेज नियमों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल और 29 अप्रैल को पत्र लिखकर झारखंड सरकार को गुप्ता को हटाने का निर्देश दिया।

इसके जवाब में राज्य सरकार ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार डीजीपी का कार्यकाल दो साल का होना चाहिए, जिसके आधार पर गुप्ता का कार्यकाल वैध है।

मरांडी का आरोप, गुप्ता की नियुक्ति विवादास्पद

बाबूलाल मरांडी ने याचिका में गुप्ता की नियुक्ति को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि गुप्ता पर 2019-21 में चुनावी कदाचार के कारण निलंबन और FIR जैसे गंभीर आरोप हैं।

मरांडी ने दावा किया कि हेमंत सोरेन सरकार ने UPSC की अनुशंसा को दरकिनार कर गुप्ता को पक्षपात के तहत नियुक्त किया। उन्होंने हाई कोर्ट से इस नियुक्ति को रद्द करने और CBI जांच की मांग की है।

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