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मोदीजी का चेहरा पसंद नहीं? तो दूसरी तरफ देख लीजिए” – वक्फ बिल पर JDU का विपक्ष को तंज

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JDU’s taunt to opposition on Waqf Bill :संसद में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। सरकार इसे पारदर्शिता लाने की दिशा में अहम कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे संविधान के मूल सिद्धांतों पर खतरा बता रहा है। इस दौरान जदयू सांसद और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने दावा किया कि इस कानून को जानबूझकर “मुस्लिम विरोधी” बताने की कोशिश हो रही है, जबकि हकीकत इससे अलग है।

ट्रस्ट को पारदर्शिता से चलाने की जरूरत

राजीव रंजन सिंह ने वक्फ को एक ट्रस्ट बताते हुए कहा कि यह किसी एक वर्ग के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ की संपत्तियों पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है और पारदर्शिता की दिशा में उठाए गए इस कदम से वही लोग सबसे ज्यादा नाराज हैं। जदयू सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि 2013 में जो “गलती” हुई थी, उसे अब सुधारा जा रहा है।

मोदीजी का चेहरा पसंद नहीं? तो मत देखिए!

बहस के दौरान सिंह ने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा पसंद नहीं है तो उनकी ओर मत देखिए, लेकिन देश के हित में लाए गए इस कानून का विरोध करना गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने वक्फ को कुछ लोगों के “चंगुल” से निकालकर आम मुसलमानों के कल्याण के लिए समर्पित किया है।

तेलुगु देशम पार्टी ने किया समर्थन, संपत्तियों के दुरुपयोग का आरोप

तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के सांसद कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी ने भी वक्फ बिल का समर्थन किया और कहा कि वक्फ बोर्ड के पास 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है, लेकिन इसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन संपत्तियों का प्रबंधन बेहद खराब है और इसमें सुधार की सख्त जरूरत है।

टीडीपी सांसद ने कहा कि उनकी पार्टी ने इस बिल को लेकर तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वक्फ बोर्ड के गठन को लेकर राज्य सरकारों को अधिक स्वतंत्रता दी जाए।

डीएमके का कड़ा विरोध, संविधान पर खतरे का दावा

डीएमके सांसद ए राजा ने बिल को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार एक “राजनीतिक एजेंडा” के तहत यह बिल ला रही है और यह देश के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।

राजा ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर उनका भाषण जेपीसी रिपोर्ट से मेल खा जाए तो वे संसद की सदस्यता से इस्तीफा देने को तैयार हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार संसद के जरिए देश पर एकतरफा फैसला थोप रही है और यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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