झारखंड

MP-MLA के खिलाफ लंबित मामलों को ले झारखंड हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, CBI से कहा…

4 अप्रैल के आदेश के अनुपालन में CBI की ओर से दिए शपथ पत्र में MP-MLA के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों (Criminal Cases) की लंबितता के कारणों के संबध में पर्याप्त औचित्य नहीं था।

Jharkhand High Court on MP-MLA Case : Jharkhand High Court की एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने MP-MLA के खिलाफ दर्ज लंबित मामलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज PIL पर सुनवाई की।

खंडपीठ ने इस दाैरान कहा कि 4 अप्रैल के आदेश के अनुपालन में CBI की ओर से दिए शपथ पत्र में MP-MLA के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों (Criminal Cases) की लंबितता के कारणों के संबध में पर्याप्त औचित्य नहीं था।

मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 8 मई की तिथि निर्धारित की। उल्लेखनीय है कि MP-MLA के खिलाफ चल रहे ममलों के स्पीडी ट्रायल को लेकर Jharkhand High Court ने स्वत: संज्ञान लिया था।

CBI का स्पष्टीकरण अपर्याप्त

पीठ ने CBI से कहा कि ट्रायल में विलंब के लिए CBI का स्पष्टीकरण अपर्याप्त है।

खंडपीठ ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि मुकदमे के दौरान लंबे स्थगन के कारण गवाहों को धमकी दी जाती है तथा आरोपियों के खिलाफ गवाही नहीं देने के लिए मजबूर किया जाता है।

यह भी एक निर्विवाद स्थिति प्रतीत होती है कि लंबे अंतराल के कारण गवाह, भले ही ईमानदार हों, स्मृति हानि या इसी तरह के किसी अन्य कारण से अभियोजन का समर्थन नहीं कर पाते हैं।

खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन एजेंसी एक वैधानिक कर्तव्य के तहत है और संविधान भी इसे मामलों के शीघ्र और शीघ्र निस्तारण के लिए सभी त्वरित व आवश्यक कदम उठाने का आदेश देता है।

हमारी राय में गलती करनेवाले अधिकारी की पहचान करने का समय आ गया है, ताकि अभियोजन एजेंसी की ओर से ढिलाई पर शुरुआत में ही अंकुश लगाया जा सके।

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