Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट ने मंगलवार को पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेंड टीचर (PGTT)-संस्कृत की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया।
जस्टिस दीपक रौशन की सिंगल बेंच ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को आदेश दिया कि जब तक इस केस की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक 5 सीटें आरक्षित रखी जाएं और इन पर कोई नियुक्ति न की जाए।
JSSC की ओर से अधिवक्ता संजोय पिपरवाल ने कोर्ट में पक्ष रखा। अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
मामले की पृष्ठभूमि
JSSC ने 2023 में PGTTCE-2023 के तहत संस्कृत सहित विभिन्न विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन (Advertisement No. 15/2023) जारी किया था।
सुजीत मुर्मू और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में विसंगतियों और अनियमितताओं का आरोप लगाया। इनका दावा है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी, रोस्टर नियमों का उल्लंघन, और मूल्यांकन में गड़बड़ियां हुईं। याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट से प्रक्रिया पर रोक और दोबारा जांच की मांग की है।
कोर्ट का अंतरिम आदेश
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों और JSSC के जवाब को सुना। जस्टिस दीपक रौशन ने स्पष्ट किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अंतिम फैसला आने तक 5 संस्कृत शिक्षक पदों पर नियुक्ति नहीं की जाएगी।
कोर्ट ने JSSC को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ये सीटें पूरी तरह से सुरक्षित रखी जाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच के दौरान याचिकाकर्ताओं के दावों की गहराई से पड़ताल की जाएगी।
JSSC का पक्ष
JSSC के वकील संजोय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया कि आयोग ने भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से पूरा किया है। उन्होंने दावा किया कि याचिकाकर्ताओं के आरोपों का जवाब देने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज और तथ्य कोर्ट के सामने पेश किए जाएंगे। JSSC ने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया में NCTE गाइडलाइंस और राज्य सरकार के नियमों का पूरी तरह पालन किया गया है।