Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य में जल स्रोतों, नदियों और तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की।
इस दौरान अदालत ने रांची के बड़ा तालाब की सफाई और प्रमुख डैमों पर हो रहे अतिक्रमण (Encroachment) को गंभीर मुद्दा बताया।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जल स्रोतों का संरक्षण भविष्य के लिए बेहद जरूरी है और इस मामले में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डैमों से अतिक्रमण हटाने पर सरकार के जवाब से असंतोष
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कांके डैम, धुर्वा डैम और गेतलसूद डैम से अतिक्रमण हटाने को लेकर एक शपथ पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने असंतोष जताया। अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने में “पिक एंड चूज” की नीति नहीं अपनाई जानी चाहिए।
सभी अतिक्रमणकारियों पर एक समान कार्रवाई का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि जलाशयों पर अवैध कब्जा करने वाले सभी लोगों की पहचान की जाए और बिना भेदभाव के सभी अतिक्रमण हटाए जाएं। केवल चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई करना उचित नहीं है।
बड़ा तालाब की सफाई पर उठे सवाल
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता खुशबू कटारूका ने अदालत को बताया कि रांची के बड़ा तालाब से गाद और कचरा हटाने के लिए विशेषज्ञों की टीम द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट अब तक सरकार ने प्रस्तुत नहीं की है।
अगली सुनवाई में विशेषज्ञों की रिपोर्ट पेश करने का आदेश
इस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में बड़ा तालाब के अंदर जमी गाद और कचरे को हटाने से संबंधित विशेषज्ञों की रिपोर्ट कोर्ट में जरूर जमा की जाए।
शहर के महत्वपूर्ण जल स्रोतों की सुरक्षा पर जोर
अदालत ने कहा कि बड़ा तालाब रांची (Bada Talab Ranchi) शहर का एक अहम जल स्रोत है और इसकी साफ-सफाई व संरक्षण में किसी भी तरह की देरी ठीक नहीं है। हाईकोर्ट की सख्ती से साफ है कि अब सरकार को जल स्रोतों के संरक्षण के लिए ठोस और समान कार्रवाई करनी होगी।




