Jharkhand News: पश्चिमी सिंहभूम जिले के जगन्नाथपुर अनुमंडल मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) परिसर में शनिवार को दवाओं के कई अधजले कार्टन मिलने से हड़कंप मच गया।
स्थानीय लोगों ने बड़ा आरोप लगाया है कि जिला मुख्यालय चाईबासा से भेजी गई दवाएं लंबे समय तक गोदाम में पड़ी-पड़ी एक्सपायर हो गईं और मामले को छिपाने के लिए उन्हें जला दिया गया। ये दवाएं मरीजों के लिए ही तो थीं, लेकिन अगर ये सच है, तो हेल्थ डिपार्टमेंट की लापरवाही साफ दिख रही है।
डॉक्टर का इनकार: सिर्फ खाली कार्टन जलाए
वहीं, CHC के प्रभारी डॉ. जयंतो कुमार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि केवल खाली कार्टन जलाए गए थे, दवाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। डॉक्टर साहब का कहना है कि ये रूटीन क्लीन-अप था, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं।
अस्पताल के दौरे पर देखा गया कि परिसर में 10 से ज्यादा कार्टन जले पड़े थे, जिनमें से कई अधजले थे और उन पर सील भी लगी हुई थी। आशंका है कि इनमें एक्सपायरी दवाएं भी शामिल थीं, जो बड़ी संख्या में गोदाम में पड़ी रह गईं।
क्यों नहीं पहुंचती दवाएं समय पर?
इस घटना से कई सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर दवाएं मरीजों तक समय पर क्यों नहीं पहुंच पातीं? क्यों उन्हें एक्सपायर होने तक गोदाम में सड़ने दिया जाता है?
झारखंड के ग्रामीण इलाकों में हेल्थ सर्विसेज की ये हालत चिंताजनक है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि ये सिर्फ टिप ऑफ द आइसबर्ग है, और ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। स्वास्थ्य विभाग को अब सख्ती बरतनी चाहिए।
जांच का विषय बनेगा मामला
डॉ. जयंतो ने अपील की कि मामले को तूल न दिया जाए, क्योंकि ये सिर्फ पैकेजिंग मटेरियल था। लेकिन लोकल कम्युनिटी नाराज है और जांच की मांग कर रही है।
जिला हेल्थ अफसरों ने कहा कि पूरा मामला जांच का विषय बनेगा। अगर एक्सपायरी दवाओं का पुख्ता सबूत मिला, तो कार्रवाई जरूर होगी। उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी, ताकि मरीजों को साफ-सुथरी दवाएं मिल सकें।




