Palamu News: पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने मंगलवार को मेदिनीनगर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए जातीय जनगणना में ‘सरना’ को अलग धर्म कोड के रूप में शामिल न करने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि पीवी नरसिंह राव की केंद्र सरकार के दौरान उनकी पार्टी ने सरना धर्म के लिए अलग कॉलम की मांग उठाई थी, जिसे नजरअंदाज कर दिया गया।
सरणा कोड पर राजनीति का आरोप
सरणा परंपरा को अलग धर्म के रूप में दर्ज करने के सवाल पर दास ने इंडिया गठबंधन पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन को अब वोटों की चिंता सता रही है, इसलिए वे इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।”
दास ने मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके शासन में जनजातीय समाज सबसे अधिक उत्पीड़ित हो रहा है, जो शर्मनाक है।
‘लूटखंड’ और ट्रांसफर-पोस्टिंग का उद्योग
दास ने हेमंत सोरेन सरकार को ‘लूटखंड’ करार देते हुए कहा कि राज्य में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या कभी एक साथ 20-20 IAS अधिकारियों, खासकर जिलाधिकारियों के तबादले होते हैं?”
उन्होंने सरकार को प्रचार तंत्र पर टिका हुआ बताया।
मंईयां सम्मान योजना पर सवाल
दास ने मंईयां सम्मान योजना को कलंक बताते हुए कहा कि विधवा, वृद्ध, और दिव्यांगों को सामाजिक पेंशन पिछले पांच महीनों से नहीं मिली।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के लिए योजना को बिना सोचे-समझे लागू किया गया और जीत के बाद लाभार्थियों की शर्तें बदल दी गईं, जिससे करीब 30 लाख महिलाएं लाभ से वंचित हो गईं। दास ने कहा कि भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
नक्सलवाद पर टिप्पणी
दास ने दावा किया कि हेमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद नक्सल शक्तियों में वृद्धि हुई, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कड़े रुख के कारण अब ये राज्य में अंतिम सांसें गिन रही हैं।