Jharkhand News: झारखंड के कथित शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार को तत्कालीन उत्पाद सचिव IAS विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को ACB ने योगेश कुमार की विशेष अदालत में पेश किया।
ACB ने आरोप लगाया कि विनय चौबे और गजेंद्र सिंह ने छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के साथ साठगांठ कर 2022-23 की नई उत्पाद नीति बनाई, जिससे झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
छत्तीसगढ़ EOW की FIR से शुरू हुई जांच, ACB ने बिछाया जाल
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने सितंबर 2024 में FIR (36/2024) दर्ज की थी, जिसमें विनय चौबे, गजेंद्र सिंह, और छत्तीसगढ़ के पूर्व IAS अनिल तूतेजा, व्यवसायी अनवर ढेबर, और अन्य को शराब घोटाले का आरोपी बनाया गया। ACB रांची ने इसके आधार पर प्रारंभिक जांच (PE) शुरू की और कई बार दोनों अधिकारियों से पूछताछ की। मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ EOW ने झारखंड सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मांगी।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एस. नागामुथू से कानूनी राय ली, जिसके बाद ACB ने मंगलवार सुबह 10:30 बजे विनय चौबे को उनके रांची स्थित घर से हिरासत में लिया। दोपहर में गजेंद्र सिंह को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया। 6 घंटे की पूछताछ और मेडिकल जांच के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
क्या है शराब घोटाला? छत्तीसगढ़ मॉडल से झारखंड में कब्जा
2021 के अंत में झारखंड के शराब व्यापारियों में चर्चा थी कि 2022-23 से नई उत्पाद नीति आएगी, जिसमें छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट हावी रहेगा। उत्पाद विभाग ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) को सलाहकार नियुक्त किया, जिसके लिए अरुणपति त्रिपाठी को ₹1.25 करोड़ फीस दी गई।
नई नीति को राजस्व परिषद के सदस्य अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने अस्वीकार करते हुए सुझाव दिए, क्योंकि झारखंड का शराब राजस्व छत्तीसगढ़ से बेहतर था। फिर भी, सरकार ने आंशिक बदलावों के साथ नीति लागू की।
टेंडर में गड़बड़ी, छत्तीसगढ़ कंपनियों का दबदबा
नई नीति में टेंडर शर्तें ऐसी रखी गईं कि झारखंड की कंपनियां हिस्सा नहीं ले पाईं। शराब आपूर्ति के लिए ₹100 करोड़ टर्नओवर और मैनपावर के लिए ₹50 करोड़ टर्नओवर व ₹11.28 करोड़ बैंक गारंटी की शर्त थी।
इससे छत्तीसगढ़ की कंपनियां जैसे इशिता, ओमसाई, और प्रिज्म (होलोग्राम सप्लायर) को फायदा हुआ। नकली होलोग्राम के साथ शराब बेची गई, जिससे 2022-23 में झारखंड को भारी राजस्व नुकसान हुआ।




