रांची: अपराध अनुसंधान विभाग (CID) ने झारखंड के लातेहार में अवैध कोयला की तस्करी मामले में डीएसपी, इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मियों पर अपने निशाने पर लिया है।
सीआईडी मुख्यालय सूत्रों के अनुसार सीआईडी जांच के आधार पर लातेहार के पूर्व डीएसपी रणवीर सिंह, बालूमाथ के ही पूर्व थानेदार राजेश मंडल के साथ-साथ दोनों के मुंशियों को भी अप्राथमिक अभियुक्त बनाया है।
झारखंड में ऐसा पहली बार हुआ है। जब कोयला तस्करी के मामले में पुलिसकर्मियों को साक्ष्य के आधार पर किसी केस में अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है।
पिछले साल जून महीनें में कोयला तस्करी को लेकर बालूमाथ थाने में दर्ज एफआईआर को सीआईडी ने टेकओवर किया था।
जुलाई 2020 में सीआईडी के डीएसपी जेपीएन चौधरी ने केस की जांच शुरू की थी।
वर्ष 2020 के जून महीने में लातेहार एसपी प्रशांत आनंद ने कोयला तस्करी में पुलिसकर्मियों की भूमिका के सबूत पाए थे इसके बाद उन्होंने स्वयं एसआईटी गठित करवाकर मामले की जांच करवायी थी।
एसआईटी ने पाया था कि कोयला माफिया मिथुन साव, चेतलाल रामदास, पवन कुमार के संबंध पुलिसकर्मियों और सीसीएल के अधिकारियों के साथ थे।
पुलिसकर्मियों के जब्त मोबाइल से भी एसआईटी और सीआईडी को कई अहम सुराग मिले थे।
जांच में यह भी पता चला था कि कोयला तस्कर सीसीएल के चेक पोस्ट पर भी सुरक्षाकर्मियों को पैसे देकर निकल जाते थे।
संगठित तौर पर कोयले की तस्करी के लिए फर्जी पेपर तैयार किया जाता था।
इसके बाद अवैध कोयले की खेप बंगाल, बिहार, यूपी, जमशेदपुर और आदित्यपुर के इलाके में भेजी जाती थी। अवैध
कोयला पकड़ा न जाए। इसके लिए लोडिंग, काटा, जीएसटी, परिवहन संबंधी फर्जी कागजात तैयार किए जाते थे।
कोयला तस्करी में अप्राथमिक अभियुक्त बनाए गए पुलिसकर्मियों को जमानत लेनी होगी।
इस मामले में पूर्व में कार्रवाई करते हुए एसडीपीओ रणवीर सिंह को हटा दिया गया था। जबकि थानेदार राजेश मंडल को भी निलंबित कर दिया गया था।




