Latest Newsझारखंडचतरा में माओवादी उग्रवादियों को घेरने में जुटे हैं सुरक्षा बल

चतरा में माओवादी उग्रवादियों को घेरने में जुटे हैं सुरक्षा बल

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चतरा : प्रतापपुर थाना क्षेत्र के बधार-बिरमाटकुम जंगल में रविवार को माओवादी उग्रवादियों (Maoist Militants) की पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ (encounter) के बाद जिला बल (district force) और CRPF माओवादी उग्रवादियों को घेरने में लगातार जुटी हुई है।

मुठभेड़ के बाद से लगातार छापामारी अभियान (raiding operation) चलाया जा रहा है। इसके साथ ही प्रतापपुर एवं कुंदा थाना क्षेत्र के संभावित ठिकानों को खंगाला जा रहा है।

अभियान का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन स्वयं कर रहे हैं। छापेमारी अभियान में CRPF 190वीं बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार एवं अन्य कनीय पुलिस पदाधिकारी शामिल हैं।

घायल सीआरपीएफ जवान की स्थिति में हो रहा लगातार सुधार

बधार-बिरमाटकुम मुठभेड़ में घायल CRPF जवान चितरंजन कुमार की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। उनका उपचार रांची के एक निजी अस्पताल (Private Hospital) में चल रहा है।

इस संबंध में सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि घायल जवान (Wounded Jawan) की स्थिति में सुधार हो रहा है। पुलिस अधीक्षक एवं CRPF कमांडेंट घायल जवान की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

बताते चलें कि भाकपा माओवादी उग्रवादी (CPI-Maoist Extremists) जिले के सुदूरवर्ती जंगली क्षेत्रों में पिछले आठ से दस दिनों से सक्रिय थे। प्रतापपुर से पूर्व लावलौंग थाना क्षेत्र में उनकी ज्यादा सक्रियता देखी गई थी।

पलामू के सीमावर्ती जंगलों में फिर से प्रवेश कर गए माओवादी उग्रवादी

पुलिस को इस बारे में पुख्ता सूचना मिलने के बाद छापेमारी अभियान (raiding operation) चलाया गया था, जिसके बाद माओवादियों (Maoists) का दस्ता सीमावर्ती पलामू जिले में प्रवेश कर गया था।

सूत्रों ने बताया कि तीन-चार दिन पहले वही दस्ता कुंदा और प्रतापपुर में सक्रिय होकर जंगलों का विचरण कर रहा था। रीजनल कमेटी के सदस्य मनोहर गंझू और जोनल कमांडर अर्जुन भुइयां नेतृत्व कर रहे थे।

इस दस्ते में 20 से 25 उग्रवादी (Militants) शामिल हैं। मुठभेड़ के बाद पुलिस सीमावर्ती क्षेत्रों (Border Areas) के जंगलों की खाक छान रही है।

खबर लिखे जाने तक पुलिस को कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी। सूत्रों का कहना है कि रविवार को पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ के बाद माओवादी उग्रवादी फिर से पलामू के सीमावर्ती जंगलों (Frontier Forests) में प्रवेश कर गए हैं।

इससे इस बात की आशंका जताई जा रही है कि वे इस इलाके में आने वाले दिनों में अपनी सक्रियता (Activity) बढ़ा सकते हैं और किसी बड़ी घटना (Major Event) को अंजाम दे सकते हैं।

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