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झारखंड विधानसभा : शराब पीने से हुई मौत तो सरकार देगी 5-10 लाख मुआवजा!

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रांची: झारखंड विधानसभा के Monsoon session के पांचवें दिन गुरुवार को विधानसभा से झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 पारित हुआ।

इस विधेयक पर माले विधायक Binod Singh और लंबोदर महतो ने सवाल खड़ा किया और विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

विनोद सिंह ने कहा कि अवैध और मिलावटी शराब (Adulterated liquor) पीने से मरने वालों को 5 से 10 लाख का मुआवजा न्यायालय से मिलेगा, जो सही नहीं है।

गलत तरीके से शराब बनाने पर भी लगाम लगेगी

20 लीटर से कम शराब बनाने वालों को जो अधिकारी पकड़ते हैं, वैसे विवेक के अनुसार उस व्यक्ति को छोड़ सकते हैं या जेल भेज सकते हैं। ऐसे में वे बारगेनिंग करेंगे। मेरी मांग है, एक न्यूनतम राशि तय कीजिए।

डॉ लंबोदर महतो (Dr. Lambodar Mahto) ने पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि शराब दुकानों में काम करनेवाले कर्मियों को तीन महीने से मानदेय नहीं मिला है।

प्रभारी मंत्री Alamgir Alam ने कहा कि यह विधेयक यह विधेयक शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों को इनोसेंट लोगों को बचाने के लिए लाया गया है। इस विधेयक के संशोधन से राज्य में गलत तरीके से शराब बनाने पर भी लगाम लगेगी।

बुधवार को चार विधेयक हुए थे पास

झारखंड विधानसभा में बुधवार को चार विधेयक पास किया गया था। भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही 2.15 बजे शुरू हुई। इसके बाद एक-एक कर विधेयकों पर चर्चा शुरू हुई। 2 बजकर 51 मिनट पर चारों विधेयक एक-एक कर पास हो गये।

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2022, झारखंड राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022, झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 तथा झारखंड माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2022 को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गयी। इस दौरान सत्ता पक्ष के अलावा विपक्ष के रूप में सिर्फ दो सदस्य उपस्थित रहे। भाजपा का कोई सदस्य सदन में मौजूद नहीं था। माले विधायक विनोद कुमार सिंह और आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो के संशोधन प्रस्ताव तथा प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया। विनोद सिंह ने विधेयक के देर से मिलने की भी शिकायत की।

यहां जाने कौन-कौन विधेयक हुए पास

गरीब-दलित आदिवासी वर्ग के हित में विधेयक

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2022 विधानसभा से पास हो गया। इसे दूसरी बार विधानसभा में पेश किया गया। प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि विधेयक को भलीभांति समीक्षा कर पेश किया गया है। कहा कि यह विधेयक राज्य की गरीब, दलित, आदिवासी वर्ग के हित में लाया जा रहा है। राज्य का यह पहला जनजातीय विश्वविद्यालय होगा। इसका मुख्यालय जमशेदपुर में होगा। आजसू विधायक लंबोदर महतो ने विधेयक में संशोधन को जरूरी बताते हुए इसे प्रवर समिति में भेजने की मांग की, लेकिन उनकी मांग ध्वनिमत से खारिज हो गयी।

500 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को मिलेगा : रामेश्वर

झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 सदन में ध्वनिमत से पास हो गया। वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से राज्य सरकार को 500 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा, जो पिछले 40 वर्षों से बकाया है। सरकार के 3690 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। विभाग वन टाइम सेटलमेंट पर विचार किया और इसी के निमित्त यह विधेयक लाया गया है। इस सेटलमेंट से राज्य सरकार को फायदा होगा ही जो कर देंगे उसे भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी कंपनसेशन खत्म हो गया है। सरकार को पैसे की जरूरत है।

राज्य माल व सेवा कर संशोधन विधेयक 2022 को स्वीकृति

झारखंड माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2022 को सदन से मंजूरी मिली। वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इस विधेयक को पेश किया। लंबोदर महतो ने पक्ष रखते हुए कहा कि इसे प्रवर समिति को भेजा जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों के दूध की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। सरकार की ओर से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इसपर राज्य सरकार कुछ भी नहीं कर सकती। दर निर्धारण जीएसटी काउंसिल में होता है। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह से पास होता है। केंद्र के द्वारा सभी राज्यो को यह भेजा जाता है, जिसे पास करा कर भेजना ही होता है। हमलोग कुछ नहीं कर सकते हैं।

विश्वविद्यालय को इकाई मानकर रोस्टर लागू होगा

विधानसभा ने झारखंड राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022 को मंजूरी दे दी। विधेयक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निदेशानुसार झारखंड राज्य में भी विश्वविद्यालय को ईकाई मानकर रोस्टर लागू होगा। इसके लिए झारखंड राज्य विवि अधिनियम 2000 (अंगीकृत एवं संशोधित) की धारा-2 एवं 57 की उपधारा 2 (ए), उपधारा(बी) तथा उपधारा -5 में संशोधन जरूरी था। विधेयक प्रभारी शिक्षा मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने पेश किया। विधेयक में विश्वद्यालय अनुदान आयोग के पत्र के माध्यम से मिले दिशा-निर्देश के अनुसार विवि को ईकाई मानते हुए आरक्षण के प्रावधान लागू का निर्णय संसूचित है।

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