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प्रवेश परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन ही सफलता का पैमाना नहीं : Delhi High Court

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा है कि किसी दाखिला परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन ही सफलता का पैमाना नहीं है और अभिभावकों, शिक्षकों व गुरुओं को चाहिए कि वे परीक्षार्थियों को बड़ी सोच रखने के लिए प्रोत्साहित करें।

अदालत ने संयुक्त दाखिला परीक्षा (JEE)-Main में आधिकारिक रूप से हासिल अंकों पर नाराजगी जताते हुए दाखिल की गई एक परीक्षार्थी की याचिका को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति संजीव नरुला (Justice Sanjeev Narula) ने राष्ट्रीय स्तर की दाखिला परीक्षाओं में किसी के प्रदर्शन के महत्व को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ”यह सफर का अंत नहीं है।”

JEE-Main में निर्धारित अंकों से अधिक अंक के बावजूद उसे JEE (Advance) Application करने के योग्य नहीं

इस मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि जेईई-मेन (JEE-Main) में निर्धारित अंकों से अधिक अंक लाने के बावजूद उसे JEE (Advance) परीक्षा के लिए Application करने के योग्य नहीं माना गया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के पोर्टल से Download किए गए उसके परीक्षा परिणाम पत्र के अनुसार, उसने मुख्य परीक्षा के पहले और दूसरे सत्र में क्रमश: 98.79 और 99.23 % अंक हासिल किए थे, लेकिन Advance परीक्षा के लिए Application करते समय उसे पता चला कि आधिकारिक रूप से उसे 20.767 और 14.64 % अंक हासिल हुए हैं।

आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर या फिर गड़बड़ हुई :अदालत

अदालत ने याचिकाकर्ता के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि आधिकारिक Record इन दावों का समर्थन नहीं करते हैं। अदालत ने कहा कि यह मानने का कोई आधार नहीं है कि आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर या फिर गड़बड़ हुई।

इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता इन परिस्थितियों के कारण ”भावनात्मक तनाव” का सामना कर रहा है।

अदालत ने 18 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ”प्रतिष्ठित कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली राष्ट्रीय स्तर (National Level) की ऐसी परीक्षाओं में किसी के प्रदर्शन से जुड़े महत्व को ध्यान में रखते हुए, इस तरह की प्रतिक्रिया काफी स्वाभाविक है।

हालांकि, अभिभावकों, शिक्षकों और गुरुओं को परीक्षार्थियों (Examinees) को बड़ी सोच रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह उनके सफर का अंत नहीं है। किसी दाखिला परीक्षा में प्रदर्शन ही उनकी सफलता को मापने का एकमात्र पैमाना नहीं है।”

अदालत ने कहा, ”हाल में वयस्क हुए याचिकाकर्ता (Petitioner) को अभी लंबा रास्ता तय करना है, और जीवन उसे उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए निश्चित रूप से बहुत सारे अवसर प्रदान करेगा।”

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