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HC के जिस जज ने केजरीवाल की जमानत रोकी, वह ED के वकील के सगे भाई!

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CM Arvind Kejriwal’s bail : दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल की जमानत के मामले में एक बड़ी खबर सामने आयी है।

दावा किया जा रहा है कि केजरीवाल को नियमित जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली हाई कोर्ट के जिस जज ने रोक लगा दी है,

वह जज ED के वकील के सगे भाई हैं। यह दावा दिल्ली के कई वकीलों ने किया है। इन वकीलों ने इस तथ्य का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है।

इस पत्र में इन वकीलों ने आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को मिली नियमित जमानत पर हाई कोर्ट की ओर से रोक लगाये जाने पर चिंता जतायी है।

Arvind Kejriwal

150 से ज्यादा वकीलों ने गुरुवार (4 जुलाई, 2024) को CJI चंद्रचूड़ को यह खत लिखा और हितों के टकराव का मुद्दा उठाया है।
अपने पत्र में वकीलों ने दावा किया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुधीर कुमार जैन को मनी लाउंड्रिंग के मामले में अरविंद केजरीवाल को जमानत दिये जाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लेना चाहिए था,

क्योंकि जस्टिस सुधीर कुमार जैन के भाई ED के वकील हैं। वकीलों ने दावा किया कि जस्टिस सुधीर कुमार जैन के सगे भाई अनुराग जैन ED के वकील हैं और हितों के इस स्पष्ट टकराव की कभी घोषणा नहीं की गयी।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वकील अनुराग जैन आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लाउंड्रिंग के किसी भी मामले को नहीं देख रहे हैं। इस पत्र पर 157 वकीलों ने हस्ताक्षर किये हैं।

इस मामले पर भी जतायी चिंता

वकीलों ने एक डिस्ट्रिक्ट जज के कथित आंतरिक पत्र पर भी चिंता जतायी है, जिसमें अधीनस्थ अदालतों के वेकेशनल जजों से कोर्ट की छुट्टियों के दौरान पेंडिंग केसेज में अंतिम आदेश पारित नहीं करने को कहा गया है। वकीलों ने इसे अभूतपूर्व बताया है।

उन्होंने CM अरविंद केजरीवाल की जमानत के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जज ED और CBI मामलों में जमानतों का अंतिम रूप से निष्पादन नहीं कर रहे हैं, बल्कि लंबी तारीखें दे रहे हैं।

वकीलों का यह पत्र इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह पत्र राउज एवेन्यू कोर्ट की अवकाशकालीन न्यायाधीश न्याय बिंदु के उस आदेश को लेकर भेजा गया है,

जिसमें उन्होंने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी और बाद में ED की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत आदेश पर रोक लगा दी। इसमें कहा गया, “हम दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली की जिला अदालतों में देखी जा रही कुछ अभूतपूर्व प्रथाओं के संबंध में कानूनी बिरादरी की ओर से यह (पत्र) लिख रहे हैं।”

वकीलों ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (Additional Sessions Judge) न्याय बिंदु ने CM अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए प्रधान न्यायाधीश के इस कथन का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि अधीनस्थ अदालतों को शीघ्र और साहसिक निर्णय लेने की जरूरत है, ताकि हाई कोर्ट में मामलों का बोझ न पड़े।

पत्र में कहा गया है कि इस आदेश के पारित होने के अगले ही दिन ED ने इस आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दे डाली। इस चुनौती को बेहद अनियमित बनानेवाली बात यह है कि यह चुनौती राउज एवेन्यू कोर्ट के आदेश को (वेबसाइट पर) अपलोड किये जाने से पहले ही दे दी गयी थी। इस पत्र पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख वकील संजीव नासियार के भी हस्ताक्षर हैं।

ED की अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने, सुनवाई करने और स्टे लगाने पर जतायी चिंता

हाई कोर्ट द्वारा निचली अदालत के जमानत आदेश के खिलाफ दायर अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने, सुनवाई करने और स्टे लगाने का उल्लेख करते हुए पत्र में कहा गया है, “भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया है और इसने कानूनी बिरादरी के मन में गहरी चिंता पैदा की है।”

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