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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस भुयान की दो टूक, साहसी जजों से ही बचेगा संविधान

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस उज्ज्वल भुयान (Justice Ujjal Bhuyan) ने संविधान (Constitution) की रक्षा के लिए बेबाक और साहसी जजों की आवश्यकता पर बल दिया। महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल द्वारा आयोजित सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय एस. ओका के विदाई समारोह में उन्होंने कहा, “हमें और अधिक साहसी जजों की जरूरत है, तभी हमारा संविधान जीवित रहेगा।”

कैरोलीन कैनेडी (Caroline Kennedy) का हवाला देते हुए जस्टिस भुयान ने कहा कि लोकतंत्र की नींव कानून का शासन (Rule of Law) है, जो एक स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary) पर टिकी है, जहां जज राजनीतिक दलों से स्वतंत्र होकर निर्णय ले सकें।

संविधान के मूल ढांचे पर चर्चा, केशवानंद भारती फैसले की सराहना

जस्टिस भुयान ने भारतीय संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure) की अवधारणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1963 के पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के फजलुर कादिर चौधरी बनाम मोहम्मद अब्दुल हक मामले का उल्लेख किया, जहां मूल ढांचे की अवधारणा का पहला बीज बोया गया था।

उन्होंने केशवानंद भारती फैसले (Kesavananda Bharati Verdict) की चर्चा करते हुए कहा कि इसे “लोकतंत्र विरोधी” बताकर लंबे समय तक आलोचना की गई, लेकिन वे इससे असहमत हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ (Constitution Bench) ने कम से कम 10 फैसलों में इसकी पुष्टि की है, जो संविधान की रक्षा में मील का पत्थर है।

NJAC रद्द करने का समर्थन, अरुण जेटली की आलोचना पर जवाब

जजों की नियुक्ति पर बोलते हुए जस्टिस भुयान ने कहा कि नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमिशन (NJAC) अधिनियम को कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) को खत्म करने के लिए लाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) और न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के आधार पर रद्द कर दिया।

उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की आलोचना, जिसमें उन्होंने इसे “अचयनित जजों की तानाशाही” बताया था, को खारिज करते हुए कहा कि यह आपत्ति अस्वीकार्य है। जस्टिस भुयान ने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का मूलभूत हिस्सा है।

राजेंद्र प्रसाद के उद्धरण के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों पर जोर

जस्टिस भुयान ने प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) के उद्धरण का उल्लेख किया: “हमने एक लोकतांत्रिक संविधान तैयार किया है, लेकिन इसका सफल संचालन उन लोगों पर निर्भर है जो दूसरों के विचारों का सम्मान, समझौता, और समायोजन की क्षमता रखते हैं।”

उन्होंने कहा कि यह उद्धरण जस्टिस ओका की न्यायिक यात्रा को दर्शाता है, जिन्होंने हमेशा संवैधानिक मूल्यों (Constitutional Values) को बरकरार रखा। उन्होंने भारत को अहिंसा और शांति का देश बताते हुए कहा कि यह संवैधानिक ढांचा देश की ताकत है।

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