Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (JSP) की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
चुनाव आयोग के ट्रेंड्स और अंतिम रुझानों के मुताबिक, JSP को 238 contested सीटों पर एक भी सीट नहीं मिली है।
शुरुआती घंटों में चार सीटों पर लीड दिखाने के बाद पार्टी के उम्मीदवार पीछे हो गए, जो एग्जिट पोल्स के 0-5 सीटों के अनुमान से भी कम है।
यह JSP का इलेक्टोरल डेब्यू था, जहां किशोर ने अपनी पादयात्रा और नीति-आधारित अभियान से ‘तीसरी ताकत’ बनने का दावा किया था, लेकिन नतीजे ‘फर्श पर’ साबित हुए।
JSP को एक भी सीट नहीं
किशोर के सबसे मजबूत उम्मीदवारों-जैसे चंपतिया से त्रिपुरारी कुमार तिवारी और करगहर से रितेश रंजन-की भी टक्कर नहीं चली। उपचुनावों में 10% से ज्यादा वोट शेयर हासिल करने वाली JSP से उम्मीद थी कि वह कम से कम NDA या महागठबंधन को वोटकटवा बनकर नुकसान पहुंचाएगी।
लेकिन ऐसा न हो सका। जन सुराज की सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ के बावजूद, वोटरों ने स्थापित दलों को तरजीह दी। पार्टी अध्यक्ष मनोज भारती ने माना, “हमने नई राजनीति लाने की कोशिश की, लेकिन लोगों को समझाने में असफल रहे।” सोशल मीडिया पर भी JSP की हार को मीम्स का शिकार बनाया जा रहा है, जबकि किशोर को ‘बिहार की आवाज’ मानने वाले समर्थक निराश हैं।
PK के भविष्यवाणी पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल अब किशोर के चुनाव प्रचार के उस दावे पर उठ रहा है। एक नेशनल टीवी चैनल के पत्रकार से बातचीत में उन्होंने जोर देकर कहा था, “JD(U) को 25 सीटों से ज्यादा नहीं मिलेंगी। अगर ऐसा हुआ, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा-यहां तक कि अगर मेरी पार्टी सत्ता में आ जाए।” रिकॉर्डिंग रख लें, उन्होंने चुनौती दी थी।
लेकिन नतीजों में JD(U) को 80 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं, जो 2020 की 43 से दोगुनी हैं। JD(U) नेता अशोक चौधरी ने तंज कसा, “मीडिया को उनसे पूछना चाहिए, अब क्या करेंगे?” बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने भी पुराने वादे निभाने का हवाला देकर प्रेशर डाला है।
राजनीति में ऐसे दावे आम हैं, लेकिन किशोर की साख पर असर पड़ेगा। कुछ हफ्ते पहले उन्होंने कहा था, “अगले 5 साल जनता के बीच संघर्ष जारी रखूंगा।”
JSP प्रवक्ता पवन के. वर्मा ने स्पष्ट किया कि किशोर बिहार नहीं छोड़ेंगे और पार्टी हार की ‘गंभीर समीक्षा’ करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि JSP को वोट शेयर (लगभग 10-13%) तो मिला, लेकिन सीटों में तब्दील न हो सका। किशोर को पहले यह समझना चाहिए कि पादयात्रा के बावजूद जमीन पर असर क्यों न पड़ा-क्या जाति-आधारित वोटिंग, NDA की मजबूत लहर या संचार की कमी जिम्मेदार?
NDA की जीत (200+ सीटें) ने नीतीश कुमार को पांचवीं बार सीएम बनाने का रास्ता साफ कर दिया, जबकि महागठबंधन 40 से नीचे सिमट गया।




