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झारखंड में छात्रवृत्ति रुकी… पढ़ाई पर संकट गहराया, छात्र पूछ रहे – “हमारा हक़ कब मिलेगा?”

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Anger grows Among Jharkhand students : झारखंड में छात्रवृत्ति (Scholarship) सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि छात्रों के लिए अधिकार की लड़ाई बन गई है।

करीब दो साल से लाखों छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली है। इसी वजह से पूरे राज्य में छात्रों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। कोई धरना दे रहा है, तो कोई पैदल चलकर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।

सरकार हरकत में, मगर जवाब अभी भी अधूरा

छात्रों के दबाव के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर बैठकों की संख्या बढ़ा दी है। ST, SC और OBC कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि समस्या पर काम किया जा रहा है।

लेकिन छात्रों का सीधा सवाल — “आख़िर हमारी छात्रवृत्ति कहां है?” — अब भी बिना जवाब के है। सरकार का कहना है कि केंद्र से अनुदान न मिलने के कारण छात्रवृत्ति रुकी हुई है।

नियम उलझे, छात्रवृत्ति अटकी

मंत्री चमरा लिंडा बताते हैं कि जटिल नियमावली और केंद्र से राशि न मिलने के कारण राज्य सरकार भी हिस्सा जारी नहीं कर पा रही।
उधर छात्र संगठनों का कहना है कि जब दो साल से पैसे नहीं आए थे, तो सरकार ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की?
इस देरी से छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।

JMM ने केंद्र पर उठाए सवाल

JMM ने भी सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और “झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार” करने का आरोप लगाया।

पार्टी ने OBC पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के आंकड़े भी साझा किए—

2023–24: 271.37 करोड़ की मांग, मिले सिर्फ 77.31 करोड़

2024–25: 253.21 करोड़ की मांग, मिले सिर्फ 33.57 करोड़

2025–26: 370.87 करोड़ की मांग, मिला एक भी रुपया नहीं ।

ज़मीनी हकीकत अलग: एसटी–एससी छात्रों को भी नहीं मिली राशि

राज्य सरकार कहती है कि सिर्फ ओबीसी छात्रवृत्ति रुकी है, लेकिन कॉलेज और विश्वविद्यालयों में एसटी और एससी छात्र भी बताते हैं कि उन्हें भी पैसा नहीं मिला है। इससे साफ पता चलता है कि सरकार के दावे और जमीन की स्थिति अलग–अलग हैं।

छात्र बोले — “कर्ज लेकर पढ़ रहे हैं, कुछ ने तो पढ़ाई छोड़ दी”

गरीब परिवारों से आने वाले ज्यादातर छात्र बताते हैं कि वे अब कर्ज लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। कई छात्र पढ़ाई छोड़ने की कगार पर पहुंच गए हैं।

उनकी मांग सीधी है— छात्रवृत्ति को राजनीति में न फंसाया जाए। हमें हमारा हक़ तुरंत दिया जाए, ताकि पढ़ाई रुक न जाए।

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